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This Article is From Dec 18, 2018

अखिलेश यादव के इस बयान से 2019 में महागठबंधन की कवायद में जुटे विपक्ष को लग सकता है झटका!

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) को लेकर बन रही विपक्षी एकता (Mahagathbandhan) पर एक बार फिर ग्रहण लगता दिख रहा है.

अखिलेश यादव के इस बयान से 2019 में महागठबंधन की कवायद में जुटे विपक्ष को लग सकता है झटका!
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव. (फाइल फोटो)
लखनऊ: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2019  (Lok Sabha Elections 2019) को लेकर बन रही विपक्षी एकता पर एक बार फिर ग्रहण लगता दिख रहा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन (MK Stalin) के बयान पर अपनी सहमति नहीं दी है. अखिलेश यादव ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि स्टालिन की राय पर गठबंधन के सभी सदस्य एकमत हों. स्टालिन ने 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया है. इसके बाद से विपक्षी दलों के सुर बदल गए हैं. अब अखिलेश यादव भी इससे सहमत नहीं दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता अब भाजपा से नाराज है. इसी कारण कांग्रेस को तीन राज्यों में सफलता मिली है. अभी महागठबंधन का खाका तैयार किया जाना है.

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उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, ममता बनर्जी और शरद पवार ने गठबंधन बनाने के लिए सभी नेताओं को एक साथ लाने का प्रयास किया था. इस प्रयास में अगर कोई अपनी राय दे रहा है, तो जरूरी नहीं है कि गठबंधन की राय समान हो. प्रधानमंत्री पद के नाम पर किसी का भी नाम गठबंधन के सभी नेता तय करें तो बेहतर है.

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बता दें, स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प जताते हुए रविवार को कहा था कि गांधी में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को परास्त करने की क्षमता है. उन्होंने कहा था, ‘2018 में थलैवार कलईग्नार की प्रतिमा के अनावरण के अवसर मैं प्रस्ताव रखता हूं कि हम दिल्ली में नया प्रधानमंत्री बनाएंगे. हम नया भारत बनाएंगे. मैं तमिलनाडु की ओर से राहुल गांधी की उम्मीदवारी की पेशकश करता हूं.' कयास लगाया जा रहा है कि शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती, अखिलेश और ममता नहीं पहुंचे. इसके बाद अखिलेश का यह बयान अपने आप में बहुत कुछ साबित करता है.  

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डीएमके प्रमुख स्टालिन के प्रस्ताव पर अखिलेश यादव के अलावा, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, ममता बनर्जी की टीएमसी, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, लालू यादव की जदयू, सीपीएम और एनसीपी ने इससे असहमति जताई थी. इन दलों ने कहा था कि चुनाव के बाद विपक्षी दलों को एकसाथ बैठकर इस पर फैसला करना चाहिए. टीएमसी ने कहा था कि स्टालिन का बयान अपरिपक्व है, इससे विपक्षी दलों में दरार आ सकती है. 

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