मार्कण्डेय काटजू ने शेयर की रामचरितमानस की पंक्तियां, खुद को 'जामवंत' तो भारतीयों को बताया 'हनुमान'

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कण्डेय काटजू (Markandey Katju) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और अपने बोल्ड बयानों के लिए जाने जाते हैं. वह सोशल मीडिया पर कुछ ना कुछ पोस्ट करते ही रहते हैं जो अक्सर वायरल भी हो जाता है.

मार्कण्डेय काटजू ने शेयर की रामचरितमानस की पंक्तियां, खुद को 'जामवंत' तो भारतीयों को बताया 'हनुमान'

खास बातें

  • काटजू ने खुद को 'जामवंत' और भारतीयों को बताया 'हनुमान'
  • फेसबुक पर रामचरितमानस की पंक्तियां शेयर कीं
  • 'जो अपनी शक्ति को भूल गए हैं, मेरा काम उनको जगाना है.'
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कण्डेय काटजू (Markandey Katju) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और अपने बोल्ड बयानों के लिए जाने जाते हैं. वह सोशल मीडिया पर कुछ ना कुछ पोस्ट करते ही रहते हैं जो अक्सर वायरल भी हो जाता है. उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट किया है जो अब सुर्खियों में है. उन्होंने लिखा, 'रामचरितमानस की ये पंक्तियां आज के भारत के लिए उचित हैं...कहन रीछपति सुन हनुमाना, का चुप साध रहे बलवाना?..पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना...कौन सो काज कठिन जग माही, जो ना होए तात तुम पाहीं?..राम काज भय तब अवतारा..सुनते भायो पर्वताकारा.'

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काटजू ने लिखा, 'ये पंक्तियां जामवंत ने हनुमानजी से कही थीं जब वह बंद आंखों के साथ धनुषकोडी में एक चट्टान पर बैठे थे. मैं जामवंत की तरह हूं और भारतीय हनुमानजी की तरह हैं जो अपनी शक्ति को भूल गए हैं. मेरा काम उनको जगाना और याद दिलाना है.' काटजू ने नेपोलियन का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा, 'नेपोलियन ने चीन के संदर्भ में कहा था कि इस असाधारण शक्ति को सोने दो, जब वह जागेगी तो दुनिया हिल जाएगी.' भारत के बारे में भी यह कहा जा सकता है.

काटजू पहले भी अपने सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्ट करते रहे हैं. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के दौरान काटजू राजनैतिक पार्टियों पर चुटकी लेने में बिल्कुल भी पीछे नहीं रहे. अभी 19 मई को आखिरी चरण का मतदान होना बाकी है और फिर 23 मई को मतगणना के बाद यह मालूम हो जाएगा कि केंद्र में किसकी सरकार आएगी. इसी मसले पर मार्कंडेय काटजू ने राजनैतिक पार्टियों पर तंज कसते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी. उन्होंने इसमें एक ऐसी कहानी बताई, जो राजनेताओं व समर्थकों पर सटीक बैठती है. उन्होंने इस कहानी का शीर्षक भी दिया, जिसमें लिखा- '23 मई के दिन कईयों के मामा बदल जाएंगे'.

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