विज्ञापन
This Article is From Mar 12, 2019

सुषमा स्वराज बोलीं- मेरे चुनाव न लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता, मगर पीएम मोदी के लिए जी जान लगा देंगे

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज(Sushma Swaraj) ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है. उनके इस निर्णय पर बीजेपी के ही समर्थकों में हैरानी है तो कुछ लोग चुनाव लड़ने के लिए अपील कर रहे हैं.

सुषमा स्वराज बोलीं- मेरे चुनाव न लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता, मगर पीएम मोदी के लिए जी जान लगा देंगे
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज(Sushma Swaraj) ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है. उनके इस निर्णय पर बीजेपी के ही समर्थकों में हैरानी है तो कुछ लोग चुनाव लड़ने के लिए अपील कर रहे हैं. गौरव नामक ट्विटर यूजर ने लिखा- इलेक्शन क्यों नहीं लड़ रही हो मैम, इस बार सब मिल के मोदी के जिता दो, राष्ट्र आपका आभारी रहेगा. एक इलेक्शन और... इस सवाल पर सुषमा स्वराज ने जवाब भी दिया, उन्होंने कहा-मेरे चुनाव ना लड़ने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. श्री नरेंद्र मोदी जी को पुनः प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने में हम सब जी जान लगा देंगे. सुषमा स्वराज ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं. वह ट्विटर पर शिकायत मिलते ही विदेश मंत्रालय से जुड़ीं पासपोर्ट आदि समस्याओं का समाधान करतीं हैं.

विदिशा से सांसद हैं सुषमा 
वर्तमान में विदिशा सीट से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj)लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रही हैं. वे इस क्षेत्र से 2009 से लगातार दो चुनाव जीती हैं. सुषमा से पहले शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chauhan) इस क्षेत्र से सांसद रहे हैं. उन्होंने इस क्षेत्र से 1991 का उपचुनाव और उसके बाद लगातार चार चुनाव जीते. सन 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ( )ने इस सीट से चुनाव जीता था. उन्होंने यह सीट छोड़ी तो यह शिवराज सिंह का गढ़ बन गई.विदिशा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ होने के कारण कांग्रेस 1989 से इस सीट पर पराजित होती आ रही है. कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ 1980 और 1984 में जीत हासिल कर सकी. विदिशा लोकसभा क्षेत्र (Vidisha Loksabha constituency) सन 1967 में अस्तित्व में आया था. सन 1967 का चुनाव देश की चौथी लोकसभा के लिए हुआ था. 


  विदिशा लोकसभा क्षेत्र के सन 1967 में अस्तित्व में आने के बाद पहला चुनाव जनसंघ के पंडित शिव शर्मा ने जीता था. सन 1972  में  जनसंघ के टिकट पर प्रसिद्ध अखबार इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता के मालिक रामनाथ गोयनका चुनाव जीते. सन 1977 में यह सीट भारतीय लोकदल ने जनसंघ से छीन ली और राघवजी भाई सांसद बने. हालांकि आगे चलकर राघवजी ने लोकदल से नाता तोड़ लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. वे मध्यप्रदेश में कई साल मंत्री भी रहे.

सन 1977 के चुनाव में जहां आपातकाल के असर ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था वहीं साल 1980 में कांग्रेस के पक्ष में चली लहर ने विदिशा सीट भी उसकी झोली में डाल दी. कांग्रेस के प्रतापभानु शर्मा ने यह चुनाव जीत लिया. इसके बाद 1984 का चुनाव भी शर्मा ने जीता. बाद में 1989 में राघवजी भाई बीजेपी से चुनाव लड़े और जीते. इसके बाद से विदिशा से बीजेपी को कांग्रेस नहीं डिगा पाई.पिछले लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज ने 714348 वोट हासिल किए थे जो कि कुल मतदाताओं का 43 फीसदी थे. उनके खिलाफ कांग्रेस ने दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को उतारा था. लक्ष्मण सिंह को 303650 वोट मिले थे जो कि 18 फीसदी थे.

पिछले तीन लोकसभा चुनावों के दौरान मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार रही है लेकिन इस बार कांग्रेस की सत्ता है. कांग्रेस के लिए विदिशा सीट हासिल करने की चुनौती है तो बीजेपी के लिए यह पारंपरिक सीट बचाए रखने की चुनौती है. आने वाले दिनों में इस सीट के लिए दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद बनने वाले चुनावी समीकरण आगामी चुनाव में इस सीट का भविष्य तय करेंगे.

वीडियो- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहुंचीं चीन के दौरे पर, बोलीं- जैश को पाक का समर्थन

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
Elections 2019: तेजस्वी यादव नहीं डाल पाए वोट तो BJP ने कसा तंज, फिर RJD ने बताई ये वजह
सुषमा स्वराज बोलीं- मेरे चुनाव न लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता, मगर पीएम मोदी के लिए जी जान लगा देंगे
Elections 2019: तेजस्वी यादव नहीं डाल पाए वोट तो BJP ने कसा तंज, फिर RJD ने बताई ये वजह
Next Article
Elections 2019: तेजस्वी यादव नहीं डाल पाए वोट तो BJP ने कसा तंज, फिर RJD ने बताई ये वजह
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com