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This Article is From Jan 20, 2019

लोकसभा चुनाव 2019 : ममता बनर्जी के मंच से संकेत, क्या पीएम पद के लिए राहुल गांधी की राह और कठिन

जहां लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस यूपीए को मजबूत करने की कवायद में लगी है तो दूसरी ओर ममता बनर्जी ने भी अपनी ताकत दिखा दी है कि बड़े नेता किसके साथ हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 : ममता बनर्जी के मंच से संकेत, क्या पीएम पद के लिए राहुल गांधी की राह और कठिन
शनिवार को ममता बनर्जी के मंच पर जुटे से 20 बड़े दिग्गज
नई दिल्ली:

कोलकाता में शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का 'शक्ति प्रदर्शन' पूरी तरह से सफल रहा है. करीब 20 नेता में जिसमें कई एक पूर्व प्रधानमंत्री, कई मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित 20 बड़े नेता शामिल थे. इस रैली में बीजेपी नेता और वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे  यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने भी मंच से मोदी सरकार को ललकारा तो पटना साहिब से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी अपने भाषण में कहा, 'चौकीदार चोर है'. सिन्हा ने तेजस्वी यादव को बिहार का भविष्य भी बताया. माना जा रहा है कि बीजेपी बहुत जल्द ही उन पर कार्रवाई कर सकती है. मंच पर ममता बनर्जी ही सबकी अगुवाई कर रही थी और कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खड़गे, अभिषेक मनु सिंघवी, बीएसपी से सतीश चंद्र मिश्रा, सपा से अखिलेश यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारुख अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, शरद यादव, टीडीपी नेता और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्र बाबू नायडू, कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, हेमंत सोरेन, डीएमके से स्टालिन, अमा आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, गुजरात से हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी, आरएलडी से जयंत चौधरी भी मौजूद थे. मंच के 20 नेताओं के साथ ही मैदान पर भीड़ भी हैरान कर देने वाली थी. तीसरे मोर्चे की वकालत कर रहीं ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपनी ताकत दिखा चुकी हैं और कई नेताओं ने उनकी तारीफ की है. अरुण शौरी ने उन्हें 'शेरनी' कहा और कहा कि यहां आए सभी पार्टियों को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और सीटों की संख्या भुलाकर बीजेपी को हटाने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए.

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जहां लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस यूपीए को मजबूत करने की कवायद में लगी है तो दूसरी ओर ममता बनर्जी ने भी अपनी ताकत दिखा दी है कि बड़े नेता किसके साथ हैं. मंच पर कई नेताओं ने यह भी कहा है कि बाद में तय कर लेंगे कि कौन प्रधानमंत्री होगा. वहीं कांग्रेस पहले से ही राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी ने अपने गठबंधन से पहले ही कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

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इसमें ध्यान देने की बात यह भी है कि  महंगाई को लेकर कांग्रेस की ओर बुलाए गए भारत बंद और दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रैली में वामदलों और कुछ पार्टियों को छोड़कर न तो मायावती, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल नहीं आए थे. मंच पर भी इतने नेता इकट्ठा नहीं हुए थे. लेकिन मंच पर दक्षिण भारत तक के  नेता भी दिखाई दिए. वहीं खबर यह है कि उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी भी मिलकर ऐसी ही रैली की योजना बना रहे हैं. कुल मिलाकर तस्वीर साफ है कि विपक्षी दल राहुल गांधी को उतनी तवज्जो देने के मूड में नहीं है. वहीं अगर सीटों का समझौता भी हुआ तो कांग्रेस को झटका लग सकता है. दूसरी ओर अगर कांग्रेस इन दलों के साथ मिलकर अगर चुनाव लड़ती है तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए राहुल गांधी के नाम पर आसानी से सहमति बन जाएगी, इससे भी संदेह के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि ममता बनर्जी के मंच से साफ कहा गया है कि प्रधानमंत्री कौन होगा यह बाद में तय कर लेंगे.

 

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