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This Article is From Jan 21, 2019

जिस चुनाव में बुरी तरह से हारा था NDA,नीतीश कुमार की आंधी में उड़ गई थी कांग्रेस और आरजेडी

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की करारी हार हुई थी और मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी. लेकिन बिहार सिर्फ अकेले ऐसा राज्य था जहां पर एनडीए को 40 में से 32 सीटें मिलीं थीं.

जिस चुनाव में बुरी तरह से हारा था NDA,नीतीश कुमार की आंधी में उड़ गई थी कांग्रेस और आरजेडी
नीतीश कुमार और पीएम मोदी बिहार में बड़ी रैली करने जा रहे हैं
नई दिल्ली:

बिहार में सीट के समझौते के बाद  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेडीयू नेता और सीएम नीतीश कुमार  के एक बड़ी रैली कर लोकसभा चुनाव के प्रचार की शुरुआत करने जा रहे हैं. दोनों नेता मंच साझा कर बिहार में मजबूत एनडीए का संदेश देने की कोशिश करेंगे. हालांकि यह रैली किस दिन होगी अभी इसकी तारीख नहीं है. लेकिन रैली को लेकर दोनों पार्टियों के बीच बातचीत हो चुकी है. जाहिर है बिहार के सीएम नीतीश कुमार मंच से नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाने की अपील करेंगे. यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि कभी नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक बताकर साल 2005 से 2010 तक बिहार में एनडीए की ओर से प्रचार की सहमति देने वाले नीतीश कुमार मोदी के पक्ष में वोट मांगेंगे और उनकी उपलब्धि भी बताएंगे. वहीं साल 2013 में करीब 17 सालों से जारी गठबंधन से नीतीश कुमार इसलिए अलग हो गए थे क्योंकि बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव 2014 के लिए प्रधानमंत्री के पद का दावेदार बना दिया था.

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इसके बाद नीतीश कुमार ने साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव आरजेडी, कांग्रेस के साथ (महागठबंधन) मिलकर लड़ा और जबरदस्त जीत हासिल की. लेकिन इसके बाद महागठबंधन में खटपट शुरू हो गई और बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. लेकिन इस पूरी कवायद में जेडीयू के कद्दावर नेता शरद यादव पार्टी से अलग हो गए. इधर संसद में ट्रिपल तलाक, और असम में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर  बीजेपी और जेडीयू के बीच मतभेद  होने के बाद भी दोनों पार्टियां बिहार की 40 में से 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी और 6 सीटें रामविलास पासवान की पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी को दी गई हैं.

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2009 जैसे प्रदर्शन की उम्मीद
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की करारी हार हुई थी और मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी. लेकिन बिहार सिर्फ अकेले ऐसा राज्य था जहां पर एनडीए को 40 में से 32 सीटें मिलीं थीं. यहां पर बाकी दल नीतीश की आंधी में उड़ गए थे. इस चुनाव में आरजेडी, लोक जनशक्ति पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. बिहार में एनडीए की इस जीत का सारा श्रेय नीतीश कुमार को गया था. जिन्होंने अपने सरकार के कामकाज के दम पर वोट मांगा था. इस चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को एक भी सीट नहीं मिली थी. आरजेडी को मात्र 4 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को मात्र 2 सीटें. इसके बाद उन्होंने लालू प्रसाद यादव ने यूपीए सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया था. कुछ दिन पहले ही बीजेपी के साथ सीटों पर समझौते के बाद नीतीश कुमार ने अमित शाह और रामविलास पासवान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि बिहार में इस बार भी एनडीए 2009 जैसा प्रदर्शन दोहराएगा.

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