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This Article is From Mar 05, 2019

गुजरात की गांधीनगर सीट से बीजेपी को हरा पाना क्यों लगता है 'नामुमिकन'

लोकसभा चुनाव 2014 की तो इसके आंकड़े से ही पता चलता है कि बीजेपी का यहां पर हरा पाना कितना मुश्किल काम है.

गुजरात की गांधीनगर सीट से बीजेपी को हरा पाना क्यों लगता है 'नामुमिकन'
गुजरात की गांधीनगर सीट से लालकृष्ण आडवाणी सांसद हैं
नई दिल्ली:

गुजरात की गांधीनगर सीट  पर इस बार सबकी नजर होगी. इस सीट पर बीजेपी के इस समय सबसे बड़े वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सांसद हैं.  बीजेपी के  लिए यह सीट हमेशा जीत की गारंटी रही है. इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी सांसद रह चुके हैं. बीजेपी इस सीट से 1989 से जीतती चली आ रही है. बीजेपी के टिकट से इस सीट पर पहला चुनाव शंकर सिंह वाघेला ने जीता था. इसके बाद 1991 में लालकृष्ण आडवाणी ने यहां मैदान में आए. आडवाणी इस समय हिंदुत्व की राजनीति के पोस्टर ब्वॉय थे. 1996 में यहां उपचुनाव हुआ तो बीजेपी से हरीशचंद्र पटेल को भी जनता ने सांसद बना दिया. यह दौर केंद्र की राजनीति में अस्थिरता का दौर था. 1996 में फिर चुनाव हुए तो अटल बिहारी वाजपेयी ने यहां से चुनाव लड़ा और वह भी जीत गए. इसके बाद  1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 तक बीजेपी का ही परचम इस सीट पर लहरा रहा  है. बात करें लोकसभा चुनाव 2014 की तो इसके आंकड़े से ही पता चलता है कि बीजेपी का यहां पर हरा पाना कितना मुश्किल काम है. आडवाणी को यहां पर 773539 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी 290418 वोट मिले थे. इसके बाद कोई भी प्रत्याशी 20 हजार वोट नहीं पाया था.  

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करीब 91 साल के हो चुके लालकृष्ण आडवाणी इस बार चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह फैसला पार्टी ने उन्हीं के ऊपर छोड़ दिया है. हालांकि पीएम मोदी की नीति के मुताबिक 75 साल से ज्यादा के उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा. लेकिन पार्टी को खड़ा करने वाले लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी को इस नियम से परे रखा गया है. 

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