बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती का समर्थन के बारे में पुनर्विचार करने के बयान के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने बुधवार को कहा कि 'अगर कोई गलतफहमी होती है तो उसे दूर कर लेंगे.' साथ ही उन्होंने कहा कि बसपा और हमारा लक्ष्य भाजपा (BJP) को हराना है. कमलनाथ ने कहा, 'मायावती (Mayawati) की पार्टी और हमारा लक्ष्य एक है, हम भाजपा को हराना चाहते हैं. हमारा लक्ष्य और विचारधारा समान है. हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. अगर कोई गलतफहमी हुई होगी तो हम मिल बैठकर उसे दूर कर लेंगे.' मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, इसके बाद कमलनाथ सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
मध्यप्रदेश के गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के खिलाफ खड़े बीएसपी उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत कांग्रेस में शामिल किए जाने पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कमलनाथ को जारी समर्थन पर फिर से विचार करने की धमकी दी थी. लोकेंद्र सिंह राजपूत ने सोमवार को बसपा छोड़ दिया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से साल 2009 से लगातार जीतते आ रहे हैं.
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230 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 113 विधायक हैं, कांग्रेस बहुमत के आंकड़े 116 से तीन सीटों से पीछे रह गई थी. बसपा और सपा के तीन और चार निर्दलीय विधायकों के साथ कांग्रेस का आंकड़ा 120 पहुंचा था. अगर मायावती अपना समर्थन वापस ले लेती है तो कांग्रेस का आंकड़ा 118 रह जाएगा. पिछले 15 साल से प्रदेश में शासन करने वाली भाजपा ने 109 सीटें जीती थी.
लोकेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद मायावती ने ट्वीट किया था, 'सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के मामले में कांग्रेस भी बीजेपी से कम नहीं. एमपी के गुना लोकसभा सीट पर बीएसपी उम्मीदवार को कांग्रेस ने डरा-धमकाकर जबर्दस्ती बैठा दिया है किन्तु बीएसपी अपने सिम्बल पर ही लड़कर इसका जवाब देगी व अब कांग्रेस सरकार को समर्थन जारी रखने पर भी पुनर्विचार करेगी'.
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वहीं एक और ट्वीट में मायावती ने कहा था, 'साथ ही, यूपी में कांग्रेसी नेताओं का यह प्रचार कि बीजेपी भले ही जीत जाए किन्तु बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी के जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है. अतः लोगों का यह मानना सही है कि बीजेपी को केवल हमारा गठबंधन ही हरा सकता है. लोग सावधान रहें'.
सिंधिया पांचवीं बार इस सीट से लड़ रहे हैं. उनके पिता माधोराव सिंधिया के निधन के बाद साल 2002 में हुए उपचुनाव में उन्होंने पहली बार गुना सीट से चुनाव लड़ा था.
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