लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी सरकार आएगी या नहीं इसको लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. एनडीटीवी पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले कम से कम 54 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है और उसे करीब 228 सीटों के आसपास मिलती दिखाई दे रही हैं और एनडीए 276 सीटों तक पहुंच सकता है. साल 2014 में एनडीए को 300 से ज्यादा सीटे मिली थीं. इस बार के चुनाव में न तो मोदी लहर है और न ही सरकार के खिलाफ उस तरह का गुस्सा है जो यूपीए के समय भड़का हुआ था. लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए दिख रहे हैं. उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस सभी 80 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर चुकी है. दूसरी ओर बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी और एलजेपी के गठबंधन में शामिल हो गए हैं और वोटबैंक के हिसाब से यह गठबंधन काफी आगे है. दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस और लेफ्ट का समझौता नहीं हो पाया है. आंध्र प्रदेश में टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है लेकिन कांग्रेस से समझौता नहीं हो पाया है. अब सवाल इस बात का है कि बीजेपी की अगुवाई में एनडीए को इस बार कितनी सीटें मिलेंगी. इसके लिए राज्यों में सीटों के गणित समझना होगा.
ग्राउंड रिपोर्ट: आखिर क्यों बनारस की गलियों में दुकानदारों ने लगाई तख्तियां- 'एक ही भूल कमल का फूल'
जिन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी की सीधे टक्कर
8 ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर हो रही है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड शामिल हैं. इन राज्यों में कई ऐसे हैं जहां बीजेपी और कांग्रेस ने दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन में हैं. इन राज्यों की 162 सीटों में से एनडीए ने साल 2014 में 151 सीटें जीत ली थीं. बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती इन राज्यों में अपनी सीटें कैसे बचाए रखे. यहां एक बात गौर करने वाली यह भी है कि मध्य प्रदेश-राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बीते साल ही विधानसभा चुनाव जीतकर बीजेपी से इन राज्यों को छीन लिया है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महाराष्ट्र में बिना किसी गठबंधन के चुनाव जीता था. इसके बाद इन 8 में से 6 राज्यों (महाराष्ट्र और झारखंड को छोड़ दें तो) साल 2014 के बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वोट शेयर में गिरावट आई है. हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदान की ट्रेडिंग अलग होती है.
लोकसभा चुनाव : आजमगढ़ में क्या अखिलेश यादव को घेरेगी कांग्रेस या फिर 'निरहुआ' को होगा नुकसान?
इन राज्यों में विपक्षी एकता का करना है सामना
उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक में इस बार एनडीए को मजबूत विपक्ष का सामना करना है. उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का वोटबैंक मिला दें तो यह बीजेपी के वोटों के आसपास ही पहुंच जाता है. वहीं बिहार में इस बार आरजेडी के साथ, हम, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और वीआईपी पार्टी शामिल हैं. आरजेडी के साथ जुड़ीं इन छोटी-छोटी पार्टियों का वोटबैंक कई सीटों को प्रभावित कर सकता है जहां स्थानीय जातिगत समीकरण हावी हैं. साल 2014 में एनडीए ने यहां पर 148 सीटों में से 121 पर जीत दर्ज की थी. उत्तर प्रदेश से काफी आगे पहुंच जाता है और इस हिसाब से बीजेपी को अच्छा-खासा नुकसान हो सकता है और बीजेपी को 37 सीटें मिल सकती हैं. पिछली बार उसे 71 और एनडीए को 73 सीटें मिली थीं. वहीं बात करें कर्नाटक की तो कांग्रेस और जेडीएस के वोट बैंक को मिला दें तो बीजेपी को मात्र 2 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. पिछली बार यहां से 17 सीटें मिली थीं.
शीला दीक्षित भी लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव, राहुल गांधी के अनुरोध पर कर रही हैं विचार
यहां की 63 सीटों पर बीजेपी को उम्मीद
पश्चिम बंगाल की 42 और ओडिशा की 21 सीटों पर बीजेपी की नजर है. बीजेपी यहां विपक्ष में है और उसे सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना है. साल 2014 के चुनाव में बीजेपी को यहां पर 63 में से 3 सीटें मिली थीं. पश्चिम बंगाल में मिलने वाली सीटों बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वामदलों के वोटशेयर में वह कितना सेंध लगा पाती है. दूसरी ओर मुस्लिम वोटरों अगर टीएमसी और वामदलों के बीच बंटते हैं तो भी यह बीजेपी को फायदे वाली बात होगी. वहीं ओडिशा में भी अगर कांग्रेस के वोटबैंक में बीजेपी जितना सेंध लगाएगी उतना ही फायदा होगा. एनडीटीवी पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल और ओडिसा में बीजेपी को 10-10 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं.
चुनाव इंडिया का: क्या रायबरेली में 15 साल बाद बदलेंगे नतीजे?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं