
पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने शनिवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी आगामी संसदीय चुनाव में राज्य में तृणमूल कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करने की प्रदेश इकाई की राय से सहमत हैं. मित्रा ने कहा, 'हमारे पार्टी अध्यक्ष हमारी इस राय से राजी हैं कि तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करना राज्य में पार्टी के लिए त्रासदी होगी क्योंकि यह तृणमूल ही है जिसकी वजह से भाजपा बंगाल में अपनी जड़ें जमा रही है. राहुलजी ने हमसे अपनी रणनीति तैयार करने को कहा है. उन्होंने हमसे कहा है कि वह इससे सहमत होंगे.' जब उनसे पूछा गया कि क्या इससे राज्य में माकपा की अगुवाई वाले वाममोर्चा के साथ गठबंधन करने के द्वार खुलेंगे तब उन्होंने कहा, 'हम वाम समेत धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ बात करेंगे. लेकिन बातचीत शुरू करने से पहले हम अपनी पार्टी के अंदर इस मामले पर चर्चा करेंगे.' गांधी ने लोकसभा के वास्ते पार्टी की तैयारी की समीक्षा करने के लिए शनिवार को दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस प्रमुखों और कांग्रेस विधायक दलों के नेताओं के साथ एक बैठक की थी. गौरतलब है कि टीएमसी की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक ओर तो बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्ष की बात करती हैं लेकिन वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं है. दूसरी ओर कांग्रेस राहुल गांधी को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित कर चुकी है. लेकिन संयुक्त विपक्ष की ओर से ममता बनर्जी खुद को नेता के तौर पर पेश करने में भी नहीं चूक नही रही हैं.
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कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी ने कोलकाता में विपक्ष के 20 बड़े नेताओं की रैली की थी जिसका संचालन में उन्होंने खुद किया था. ममता बनर्जी ने मोदी सरकार के खिलाफ कुछ ज्यादा ही आक्रमक रुख अपना रखा है और वह कांग्रेस से अलग लड़ाई लड़ रही हैं. इससे पहले जब बीते साल वह संयुक्त विपक्ष की वह बात कर रही थीं तो वह राहुल गांधी की बात पर हमेशा सवालों को टालती नजर आई हैं. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष का रुख ममता बनर्जी को लेकर नरम रहा है. हाल ही में चिटफंड केस में सीबीआई की कार्रवाई के मुद्दे पर भी राहुल गांधी ने साथ खड़े रहने का आश्लवासन दिया था, लेकिन कांग्रेस पश्चिम बंगाल के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने ममता बनर्जी पर घोटाले में शामिल होने लगाया और उनके धरने को नाटक करार दिया था. दरअसल पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि राज्य में टीएमसी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो क्योंकि इससे उनकी अहमियत घट जाएगी. कुल मिलाकर अब दोनों ही पार्टियां अलग-अलग रास्तों की ओर जाते दिखाई दे रही हैं.
वहीं उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं मिली है. अब पार्टी ने अकेले राज्य में 80 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है. इसी तैयारी के तहत पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को दी गई है.
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