आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज करने वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी को शनिवार को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया. लोकसभा चुनावों के नतीजे में जहां बीजेपी की जीत पर चर्चा-परिचर्चा हो रही है, तो वहीं एक राज्य ऐसा भी है जहां के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने पूरे देश का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है. आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता परिवर्तन हो गया है और वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) ने बहुमत के साथ प्रचंड जीत हासिल कर ली.
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चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वाईएसआर कांग्रेस ने 175 विधानसभा सीटों में से 152 सीटों पर जीत हासिल की. तेलगू देशम पार्टी का यहां बहुत बुरा हाल हुआ है और उसे हार का सामना करना पड़ा है. टीडीपी को केवल 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) वाईएसआर कांग्रेस की जीत के नायक बनकर उभरे हैं. जैसे ही चुनावी नतीजे सामने आए राज्य के सीएम चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.
हालांकि राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने कहा है कि नायडू अगली सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू होने तक पद पर बने रहें. 2014 के चुनावों में वाईएसआर कांग्रेस को 67 और टीडीपी को 103 सीटें मिली थीं. ऐसे में सवाल उठता है कि वो कौन सी वजह थीं जिससे वाईएसआर ने शानदार वापसी की और टीडीपी को सत्ता गंवानी पड़ी.
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2013 से 2017 तक टीडीपी और एनडीए गठबंधन में थे लेकिन चंद्रबाबू नायडू काफी समय से आंध्र प्रदेश के लिए मोदी सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे. केंद्र ने उनके विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को ठुकरा दिया था. जिसके बाद टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को झटका देते हुए एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था. टीडीपी के मंत्री ने केंद्र सरकार से और बीजेपी के मंत्री ने आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन एनडीए से अलग होने पर टीडीपी को नुकसान ही उठाना पड़ा.
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