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                                        मशहूर सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने भारत के 12 दिग्गज संगीतकारों पर 'मास्टर ऑन मास्टर्स' नाम की किताब लिखी है. किताब का विमोचन मंगलवार शाम बॉलीवुड फिल्मकार करण जौहर ने उस्ताद अमजद अली खान की पत्नी शुभलक्ष्मी और बेटों अमान और अयान अली बंगश की मौजूदगी में किया.
किताब के विमोचन के दौरान करण और उस्ताद के बीच संगीत की बदलती संस्कृति और किस तरह प्रौद्योगिकी ने लोगों के दिलों में दूरियां पैदा कर दी हैं, जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने कई यादों को भी साझा किया.
पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित किताब में खान ने बड़े गुलाम अली खान, उस्ताद आमिर खान, उस्ताद अल्ला रक्खा, केसरबाई केरकर, कुमार गंधर्व, भीमसेन जोशी, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और कुछ अन्य के साथ जुड़ी यादों को ताजा किया.
करण ने किताब से मशहूर गजल गायिका बेगम अख्तर पर दिए उद्धरण को पढ़ा, जिसने यह दर्शाया कि पुराने समय के युवा संगीतकार कैसे अपने बड़ों का सम्मान करते थे.
इस बारे में करण ने कहा कि मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी भी अपने बड़ों का सम्मान करती है लेकिन, हां, उनका हाव-भाव और रवैया थोड़ा बदल गया है. पहले हम लोग अपने बड़ों के पैर छूते थे और आज के युवा हाथ मिलाते हैं.
अमजद अली खान ने कहा कि बड़ों का सम्मान करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है और उसे बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं. आजकल के माता-पिता के अपने काम में ज्यादा व्यस्त होने के कारण बच्चे अपनी जड़ों से कटते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर माता-पिता के पास अपने बच्चों के साथ समय बिताने का वक्त नहीं है तो उन्हें बच्चों को इस दुनिया में नहीं लाना चाहिए.
                                                                        
                                    
                                किताब के विमोचन के दौरान करण और उस्ताद के बीच संगीत की बदलती संस्कृति और किस तरह प्रौद्योगिकी ने लोगों के दिलों में दूरियां पैदा कर दी हैं, जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने कई यादों को भी साझा किया.
पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित किताब में खान ने बड़े गुलाम अली खान, उस्ताद आमिर खान, उस्ताद अल्ला रक्खा, केसरबाई केरकर, कुमार गंधर्व, भीमसेन जोशी, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और कुछ अन्य के साथ जुड़ी यादों को ताजा किया.
करण ने किताब से मशहूर गजल गायिका बेगम अख्तर पर दिए उद्धरण को पढ़ा, जिसने यह दर्शाया कि पुराने समय के युवा संगीतकार कैसे अपने बड़ों का सम्मान करते थे.
इस बारे में करण ने कहा कि मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी भी अपने बड़ों का सम्मान करती है लेकिन, हां, उनका हाव-भाव और रवैया थोड़ा बदल गया है. पहले हम लोग अपने बड़ों के पैर छूते थे और आज के युवा हाथ मिलाते हैं.
अमजद अली खान ने कहा कि बड़ों का सम्मान करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है और उसे बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं. आजकल के माता-पिता के अपने काम में ज्यादा व्यस्त होने के कारण बच्चे अपनी जड़ों से कटते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर माता-पिता के पास अपने बच्चों के साथ समय बिताने का वक्त नहीं है तो उन्हें बच्चों को इस दुनिया में नहीं लाना चाहिए.
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