'विश्व पुस्तक मेले में पाठकों को देखकर किताबों के प्रति भरोसा मजबूत हुआ'

प्रगति मैदान में चल रहा विश्व पुस्तक मेला रविवार को समाप्त हो गया. इस बार मेले में तमाम नई किताबें आईं और इन पर चर्चा-परिचर्चा हुई.

'विश्व पुस्तक मेले में पाठकों को देखकर किताबों के प्रति भरोसा मजबूत हुआ'

पुस्तक मेले में आखिरी दिन भी कई किताबों का लोकार्पण हुआ.

नई दिल्ली :

प्रगति मैदान में चल रहा विश्व पुस्तक मेला रविवार को समाप्त हो गया. इस बार मेले में तमाम नई किताबें आईं और इन पर चर्चा-परिचर्चा हुई. मेले के आखिरी दिन भी न किताबों के आगमन का सिलसिला भी लगा रहा. राजकमल प्रकाशन के जलसाघर में बहुप्रतीक्षित उपन्यास ‘आईनासाज़' का लोकार्पण किया गया. उपन्यास पर बात करते हुए लेखिका अनामिका ने कहा, 'अमीर खुसरो को मैंने अपने अनुकूल गढ़ा है. इतिहास की कतरनों से मैंने एक गुड़िया सिली है, आईनासाज़ मेरी गुड़िया है. इस मौके पर मशहूर गायिका चिन्मयी त्रिपाठी ने कबीर और अनामिका के लिखे गीतों को गाकर सुनाया. चिन्मयी ने राधावल्लभ त्रिपाठी के नाटक ‘कथा शकुंतला की' से एक छोटा अंश भी पढ़कर भी सुनाया. जलसाघर में रविवार को कई नयी किताबों का लोकार्पण किया जिसमें उमा शंकर चौधरी की ‘दिल्ली में नींद', प्रत्यक्षा सिन्हा की ‘ग्लोब के बाहर लड़की' और अनुपम मिश्र के लेखों का संग्रह ‘विचार का कपड़ा' और ‘बिन पानी सब सून' शामिल है. 

राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, "विश्व पुस्तक मेले में पाठकों को देखकर किताब के प्रति भरोसा मजबूत हुआ है. बारिश और कड़ाके की ठंड के बावजूद पाठक किताब के पक्ष में डटे रहे. युवा पाठकों और हिन्दी के युवा लेखन में मेरा विश्वास दृढ़ हुआ. लगातार लगता रहा कि हमारे युवा लेखक अपनी परम्परागत विरासत को संभालने के साथ लेखन के क्षेत्र में नए मानक गढ़ने के लिए तैयार हैं. मुझे विश्वास है कि आने वाला साल मेरी इस सोच को सही सबित करेगा. मेले में हमने साठ से अधिक नई पुस्तकें का प्रकाशन किया. ज्यादातर पुस्तकें युवा लेखकों द्वारा विभिन्न विधाओं में लिखी पहली-दूसरी कृतियां हैं. 

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