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This Article is From Jul 31, 2017

प्रेमचंद की कहानियां को आज भी भूले नहीं हैं लोग

क्षेत्रीय साहित्य को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए अभियान शुरू करने वाले ‘कथा कथन’ के संस्थापक जमील गुलरेस ने कहा, ‘‘जब तक मानवीय संवेदना रहेंगी तब तक प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे.’ उनकी जयंति पर संगठन एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिसमें उनके साहित्य को इस प्रकार से पढ़ा जाएगा कि उसके तमाम किरदार जिंदा हो जाएं.

प्रेमचंद की कहानियां को आज भी भूले नहीं हैं लोग
साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का स्थान उस ऊंचाई पर हैं जहां बिरले पहुंच पाये हैं. उनकी कहानियों में ग्रामीण भारत खासतौर पर किसानों की स्थिति का जो वर्णन है वह किसानों की आज की हालत से कोई खास भिन्न नहीं है. क्षेत्रीय साहित्य को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए अभियान शुरू करने वाले ‘कथा कथन’ के संस्थापक जमील गुलरेस ने कहा, ‘‘जब तक मानवीय संवेदना रहेंगी तब तक प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे.’ उनकी जयंति पर संगठन एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिसमें उनके साहित्य को इस प्रकार से पढ़ा जाएगा कि उसके तमाम किरदार जिंदा हो जाएं.

प्रेमचंद ने करीब 300 लघु कहानियां, 14 उपन्यास अनेक नाटक , पत्र और निबंध लिखे हैं.

निर्देशक- अभिनेता एमके रैना का मानना है कि प्रेमचंद ऐसे लेखक हैं जो आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं.रैना ने प्रेमचंद के ‘कफन’ पर एक नाटक तैयार किया था और अब वह इसे कश्मीर की एक कहानी के साथ मिला कर मानवीय भावनाओं और अनुभवों पर एक अनोखी प्रस्तुति बनाने की तैयारी कर रहे हैं.


(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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