पाकिस्तानी लेखिका सबीन जावेरी न केवल राजनीतिक बल्कि सभी क्षेत्रों में महिला नेताओं से हमेशा से ही प्रभावित हुई हैं और उनका पहला उपन्यास ऐसा कोर्टरूम ड्रामा है जो बेनजीर भुट्टो के हत्याकांड से प्रेरित एक रहस्मयी कहानी को बयां करता है.
नोबडी किल्ड हर दो महत्वाकांक्षी महिलाओं प्रधानमंत्री रानी शाह और उसकी निकट सहयोगी नाजनीन खान या नाजो खान की गहरी मित्रता की कहानी है जो ऐसे देश में रहती हैं जो कट्टरपंथी और पितृसत्तात्मक है. राजनीतिक साजिशों की पृष्ठभूमि वाले इस उपन्यास का प्रकाशन हार्परकॉलिन्स ने किया है. इस उपन्यास की कहानी प्रेम, वफादारी, जुनून और धोखे को दर्शाती है.
जावेरी ने कहा कि लोग इसे एक राजनीतिक थ्रिलर बता रहे हैं लेकिन मैं इसे नारीवादी कहानी करार दूंगी. हालांकि उपन्यास में प्रधानमंत्री की हत्या की कहानी बयां की गई है, लेखिका का मानना है कि कोई भी चरित्र वास्तविक जीवन के किसी व्यक्ति से प्रेरित नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसका जो एकमात्र हिस्सा प्रेरित है, वह यह है कि इसमें एक हत्याकांड होता है. जावेरी ने कहा कि मेरी केवल राजनीति ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं के नेतृत्व में रचि है. हमारे पास बेनजीर भुट्टो, इंदिरा गांधी और मार्गरेट थचर जैसी महिलाएं हैं और दूसरी ओर हमारे पास लीला खालिद और फूलन देवी जैसी महिलाएं भी है.
उन्होंने कहा कि यह देखना दिलचस्प है कि उनमें समान बात क्या है. ये सभी महिलाएं शक्तिशाली पदों पर हैं लेकिन ये पद अलग अलग तरह के हैं, ये उनकी सामान्य भूमिकाओं से अलग हैं. (एजेंसियों से इनपुट)
नोबडी किल्ड हर दो महत्वाकांक्षी महिलाओं प्रधानमंत्री रानी शाह और उसकी निकट सहयोगी नाजनीन खान या नाजो खान की गहरी मित्रता की कहानी है जो ऐसे देश में रहती हैं जो कट्टरपंथी और पितृसत्तात्मक है. राजनीतिक साजिशों की पृष्ठभूमि वाले इस उपन्यास का प्रकाशन हार्परकॉलिन्स ने किया है. इस उपन्यास की कहानी प्रेम, वफादारी, जुनून और धोखे को दर्शाती है.
जावेरी ने कहा कि लोग इसे एक राजनीतिक थ्रिलर बता रहे हैं लेकिन मैं इसे नारीवादी कहानी करार दूंगी. हालांकि उपन्यास में प्रधानमंत्री की हत्या की कहानी बयां की गई है, लेखिका का मानना है कि कोई भी चरित्र वास्तविक जीवन के किसी व्यक्ति से प्रेरित नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसका जो एकमात्र हिस्सा प्रेरित है, वह यह है कि इसमें एक हत्याकांड होता है. जावेरी ने कहा कि मेरी केवल राजनीति ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं के नेतृत्व में रचि है. हमारे पास बेनजीर भुट्टो, इंदिरा गांधी और मार्गरेट थचर जैसी महिलाएं हैं और दूसरी ओर हमारे पास लीला खालिद और फूलन देवी जैसी महिलाएं भी है.
उन्होंने कहा कि यह देखना दिलचस्प है कि उनमें समान बात क्या है. ये सभी महिलाएं शक्तिशाली पदों पर हैं लेकिन ये पद अलग अलग तरह के हैं, ये उनकी सामान्य भूमिकाओं से अलग हैं. (एजेंसियों से इनपुट)
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