नयी दिल्ली:
हिंदी के प्रख्यात आलोचक, लेखक और विद्वान डॉ नामवर सिंह को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में साहित्य अकादमी की प्रतिष्ठित महत्तर सदस्यता (फैलोशिप) प्रदान की गई.
इस मौके पर साहित्य आकदमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा, ‘‘नामवर सिंह की आलोचना जीवंत आलोचना है. भले ही लोग या तो उनसे सहमत हुए अथवा असहमत, लेकिन उनकी कभी उपेक्षा नहीं हुई.’’ इस मौके पर सिंह को सम्मान स्वरूप उत्कीर्ण ताम्र फलक और अंगवस्त्रम प्रदान किया गया.
प्रख्यात आलोचक निर्मला जैन ने कहा कि उनके जीवन में जो समय संघर्ष का था वह हिंदी साहित्य के लिए सबसे मूल्यवान रहा है क्योंकि इसी समय में नामवर सिंह ने गहन अध्ययन किया.
वहीं भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और प्रतिष्ठित कवि लीलाधर मंडलोई ने कहा कि नामवर सिंह आधुनिकता में पारंपरिक हैं और पारंपरिकता में आधुनिक. उन्होंने कहा कि सिंह ने पत्रकारिता, अनुवाद और लोकशिक्षण का महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसका मूल्यांकन होना अभी शेष है.
सिंह हिंदी के प्रख्यात लेखक, आलोचक और विद्वान हैं. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। वह दो बार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रहे हैं.
सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों में हिंदी के प्रोफेसर रहे हैं. वह जनयुग साप्ताहिक और आलोचना पत्रिका के संपादन से भी जुड़े रहे हैं.
महत्तर सदस्य के रूप में एक समय में अकादेमी की मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं के कुल 21 सदस्य ही हो सकते हैं. इसलिए इसे प्रतिष्ठित माना जाता है.
इस मौके पर साहित्य आकदमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा, ‘‘नामवर सिंह की आलोचना जीवंत आलोचना है. भले ही लोग या तो उनसे सहमत हुए अथवा असहमत, लेकिन उनकी कभी उपेक्षा नहीं हुई.’’ इस मौके पर सिंह को सम्मान स्वरूप उत्कीर्ण ताम्र फलक और अंगवस्त्रम प्रदान किया गया.
प्रख्यात आलोचक निर्मला जैन ने कहा कि उनके जीवन में जो समय संघर्ष का था वह हिंदी साहित्य के लिए सबसे मूल्यवान रहा है क्योंकि इसी समय में नामवर सिंह ने गहन अध्ययन किया.
वहीं भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और प्रतिष्ठित कवि लीलाधर मंडलोई ने कहा कि नामवर सिंह आधुनिकता में पारंपरिक हैं और पारंपरिकता में आधुनिक. उन्होंने कहा कि सिंह ने पत्रकारिता, अनुवाद और लोकशिक्षण का महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसका मूल्यांकन होना अभी शेष है.
सिंह हिंदी के प्रख्यात लेखक, आलोचक और विद्वान हैं. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। वह दो बार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रहे हैं.
सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों में हिंदी के प्रोफेसर रहे हैं. वह जनयुग साप्ताहिक और आलोचना पत्रिका के संपादन से भी जुड़े रहे हैं.
महत्तर सदस्य के रूप में एक समय में अकादेमी की मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं के कुल 21 सदस्य ही हो सकते हैं. इसलिए इसे प्रतिष्ठित माना जाता है.
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