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This Article is From Jan 16, 2017

जेएनयू में 'राष्ट्रवाद' पर दिए गए व्याख्यानों पर छपी किताब, 25 जनवरी को होगा विमोचन

जेएनयू में 'राष्ट्रवाद' पर दिए गए व्याख्यानों पर छपी किताब, 25 जनवरी को होगा विमोचन
नई दिल्‍ली: प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'राष्ट्रवाद' की मौजूदा परिभाषा के जवाब में जो व्याख्यान हुए थे, अब उन्हें एक किताब की शक्ल दी गई है जिसका नाम 'व्हाट द नेशन रियली नीड्स टू नो' है. पिछले साल जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन (जेएनयूटीए) ने एक महीने तक 'राष्ट्रवाद व्याख्यान श्रृंखला' का आयोजन किया था. यह श्रृंखला उस समय चलाई गई थी जब विश्वविद्यालय की कथित छवि राष्ट्र विरोधी तत्वों के छिपने की जगह के तौर पर बन रही थी. विश्वविद्यालश्य के तीन छात्रों पर एक ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा लेने का आरोप था, जिसमें कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए थे.

श्रृंखला में 24 व्याख्यान दिए गए थे जो रोमिला थापर, हरबंस मुखिया, तनिका सरकार, जयंती घोष, प्रभात पटनायक, अमित सेनगुप्ता, मृदुला मुखर्जी, मकरंद परांजपे और अपूर्वानंद सहित प्रख्यात इतिहासकारों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों ने दिए थे. इन सभी लोगों के व्याख्यानों का पुस्तक के रूप में संकलन एवं संपादन हार्पर कॉलिंस इंडिया प्रकाशन ने किया है. कुल 368 पृष्ठों की इस किताब का विमोचन 25 जनवरी को जेएनयू में किया जाएगा.

जेएनयूटीए के एक सदस्य ने कहा कि राष्ट्रवाद पर छिड़ा विवाद सिर्फ जेएनयू के इतिहास के लिए ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में भी ऐतिहासिक आंदोलन था. यह किताब हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो बताता है कि जबरन राष्ट्रवाद का विचार थोपे जाने के खिलाफ विश्वविद्यालय कैसे उठ खड़ा हुआ था.

क्या है जेएन यू विवाद?
आरोप है कि पिछले साल फरवरी में जेएनयू में लेफ्ट स्टूडेंट्स के ग्रुप्स ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में एक प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया था. इसे कल्चरल इवेंट का नाम दिया गया था. इस दौरान साबरमती हॉस्टल के सामने कुछ लोगों ने देश विरोधी नारेबाजी की थी. इसके बाद लेफ्ट और एबीवीपी स्टूडेंट्स के बीच झड़प हुई थी.

(एजेंसियों से इनपुट)

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