युवाओं के मन में पौराणिक चरित्रों से जुड़े संदेहों को दूर करने वाले कथाकार देवदत्त पटनायक ने हाल ही में अपनी पुस्तक देवलोक के बारे में बात की. उन्होंने कहा है- 'पौराणिक चरित्रों और कथाओं की विवेचना तो विभिन्न ग्रंथों में मौजूद है, लेकिन इसकी प्रस्तुति कई तरह की शंकाएं और भ्रम पैदा करती हैं. मेरा पूरा प्रयास इन्हीं गुत्थियों को सुलझाने का है.'
पटनायक ने अपनी नयी पुस्तक देवलोक के संदर्भ में कहा कि इस शब्द में ही इतने रहस्य और इतना कौतुहल छुपा हुआ है, जो अपने अंदर अनेक जिज्ञासाओं को समेटे हुए है. इस अकेले नाम और इससे जुड़े तमाम किस्सों में एक तिलस्म है, जो पढ़ने, सुनने और समझने की कोशिश करने वालों को हरदम अपनी ओर खींचता है.
उन्होंने कहा कि किसी भी किस्से और कहानियों में सवालों का सिलसिला अक्सर उस मोड़ से पैदा होता हैं, जहां से उस किस्से या कहानी के नायक नायिकाओं और उनकी योग्यता का विकास शुरू होता है.
लेखक ने कहा कि पेंग्विन इंडिया की पुस्तक देवलोक में देव और पौराणिक कथाओं और उससे जुड़ी मीमांसा को जानकारी हासिल करने को लालायित लोगों के नजदीक ले जाने की कोशिश की गई है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पटनायक ने अपनी नयी पुस्तक देवलोक के संदर्भ में कहा कि इस शब्द में ही इतने रहस्य और इतना कौतुहल छुपा हुआ है, जो अपने अंदर अनेक जिज्ञासाओं को समेटे हुए है. इस अकेले नाम और इससे जुड़े तमाम किस्सों में एक तिलस्म है, जो पढ़ने, सुनने और समझने की कोशिश करने वालों को हरदम अपनी ओर खींचता है.
उन्होंने कहा कि किसी भी किस्से और कहानियों में सवालों का सिलसिला अक्सर उस मोड़ से पैदा होता हैं, जहां से उस किस्से या कहानी के नायक नायिकाओं और उनकी योग्यता का विकास शुरू होता है.
लेखक ने कहा कि पेंग्विन इंडिया की पुस्तक देवलोक में देव और पौराणिक कथाओं और उससे जुड़ी मीमांसा को जानकारी हासिल करने को लालायित लोगों के नजदीक ले जाने की कोशिश की गई है.
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