नई दिल्ली:
बेंगलुरू की एक दीवानी अदालत ने कोलकाता के एक पत्रकार और पांच अन्य प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक दिवंगत गायक मन्ना डे के परिवार के खिलाफ एक 'विवादित' किताब के प्रकाशन से रोक दिया. अतिरिक्त नगर दीवानी और सत्र न्यायाधीश एस के वांतीगोदी ने 13 फरवरी को पारित एक आदेश में कहा कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है और सुनवाई में देरी से याचिका का मूल उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा.न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए कई सुनवाई से बचने के लिए मैं यह आदेश पारित करता हूं. मन्ना डे की बेटी सुमिता देब और उनके पति जे रंजन देब ने इससे जुड़ी याचिका दायर की है. अपनी याचिका में देब ने आरोप लगाया है कि गौतम भट्टाचार्य ने 28 अक्तूबर, 2013 को प्रकाशित एक आलेख और 'तारादार शेष चिठी' शीषर्क पुस्तक में 'दुर्भावनापूर्ण और मानहानि वाली सामग्री' लिखी है.
देब ने बताया कि भट्टाचार्य के कई आलेखों के संकलन के रूप में आयी किताब में उनकी और उनकी पत्नी की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गयी है.
(एजेंसियों से इनपुट)
देब ने बताया कि भट्टाचार्य के कई आलेखों के संकलन के रूप में आयी किताब में उनकी और उनकी पत्नी की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गयी है.
(एजेंसियों से इनपुट)
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