विज्ञापन
This Article is From May 21, 2017

जन्मदिन विशेष: 'लापतागंज' वाले शरद जोशी ने यूं दिलाई हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा...

हिंदी के प्रमुख व्यंग्यकार शरद जोशी को हो सकता है, कम लोग जानते हों. यह भी संभव है कि नई पीढ़ी उनसे बिल्कुल अनजान हो, लेकिन उनकी व्यंग्यात्मक कहानियों पर आधारित धारावाहिक 'लापतागंज' से सभी वाकिफ होंगे, जिसका प्रसारण मनोरंजन चैनल 'सब' पर किया गया.

जन्मदिन विशेष: 'लापतागंज' वाले शरद जोशी ने यूं दिलाई हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा...
प्रतिकात्मक तस्वीर
शरद जोशी ने सामाजिक विसंगतियों का चित्रण बड़े ही मनोयोग से किया है और व्यंग्य विधा को नया आयाम दिया है. वह चकल्लस पुरस्कार से सम्मानित हुए और हिंदी साहित्य समिति (इंदौर) द्वारा 'सास्वत मरतड' की उपाधि से नवाजे गए. 

लेखन के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी
शरद जोशी का जन्म 21 मई, 1931 को मध्यप्रदेश के उज्जैन में हुआ था. लेखन में इनकी रुचि शुरू से ही थी. उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के सूचना एवं प्रकाशन विभाग में काम किया, लेकिन बाद में सरकारी नौकरी छोड़कर पूरा समय लेखन को दिया. जोशी इंदौर में ही रहकर रेडियो और समाचारपत्रों के लिए लिखने लगे. उन्होंने कई कहानियां भी लिखीं, लेकिन व्यंग्यकार के रूप में ही स्थापित हुए.

शरद जोशी भारत के पहले व्यंग्यकार थे, जिन्होंने सन् 1968 में पहली बार मुंबई में चकल्लस के मंच पर, जहां हास्य कविताएं पढ़ी जाती थीं, गद्य पढ़ा और हास्य-व्यंग्य में अपना लोहा मनवाया. उन्होंने अपने वक्त की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विसंगतियों को बड़ी पैनी निगाह से देखा और उन पर चुटीले अंदाज में लिखा, इसलिए अधिक लोकप्रिय भी हुए.

फिल्मों और टीवी के लिए भी लिखी पटकथाएं
'दूसरी सतह', 'प्रतिदिन', 'परिक्रमा' और 'किसी बहाने' शरद जोशी की लिखी प्रमुख व्यंग्य-कृतियां हैं. वह अपने व्यंग्य की छाप पाठक पर बिहारी के दोहों की तरह छोड़ देते थे. उन्होंने 'क्षितिज', 'छोटी सी बात', 'सांच को आंच नहीं' और 'उत्सव' जैसी फिल्मों की पटकथा भी लिखी.

शरद जोशी की व्यंग्यपूर्ण रचनाओं में जो हास्य, कड़वाहट, मनोविनोद और चुटीलापन है, वही उनके जनप्रिय रचनाकार होने कर आधार है. उन्होंने टेलीविजन के लिए भी कई धारावाहिक लिखे. उनके लिखे धारावाहिक 'ये जो है जिंदगी', 'विक्रम बेताल', 'वाह जनाब', 'देवी जी', 'ये दुनिया गजब की', 'दाने अनार के' और 'लापतागंज' को कौन भूल सकता है! उन्होंने 'मैं, मैं, केवल मैं' और 'उर्फ कमलमुख बी.ए.' जैसे उपन्यास भी लिखे. 

नई दुनिया, कादंबरी, ज्ञानोदय, रविवार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स जैसी पत्र-पत्रिकाओं के लिए भी उन्होंने नियमित स्तंभ और बहुत कुछ लिखा. मध्यप्रदेश सरकार ने इनके नाम पर 'शरद जोशी सम्मान' भी शुरू किया. 5 सितंबर, 1991 को मुंबई में उनका निधन हो गया.

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com