नई दिल्ली:
ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2016 में आधुनिक बांग्ला साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित बांग्ला कवि शंख घोष को दिया जायेगा. दो दशकों के बाद किसी बांग्ला लेखक को देश का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया है. दिल्ली में जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि विद्वान, समालोचक और लेखक डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में ज्ञानपीठ चयन बोर्ड की बैठक में निर्णय किया गया कि वर्ष 2016 का 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार आधुनिक बांग्ला साहित्य के जानेमाने कवि शंख घोष को प्रदान किया जायेगा.
पुरस्कार के रूप में शंख घोष को वाग्देवी की प्रतिमा, 11 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा. इससे पहले 1996 में बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था. इस लिहाज से वह 19 साल बाद देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पाने वाले बांग्ला लेखक हैं.
घोष की प्रमुख रचनाओं में आदिम लता-गुलमोमॉय, मूखरे बारो, सामाजिक नोय, बाबोरेर प्रार्थना, दिनगुली रातगुली और निहिता पातालछाया शामिल हैं. उनका जन्म 1932 में हुआ था और उन्हें कवि, आलोचक और विद्वान के तौर पर जाना जाता है. घोष को साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, रबीन्द्र पुरस्कार जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया है.
इससे पहले बांग्ला लेखकों ताराशंकर, विष्णु डे, सुभाष मुखोपाध्याय, आशापूर्णा देवी और महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है. पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था और पिछली दफा वर्ष 2015 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से गुजराती लेखक रघुवीर चौधरी को नवाजा गया था.
पुरस्कार के रूप में शंख घोष को वाग्देवी की प्रतिमा, 11 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा. इससे पहले 1996 में बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था. इस लिहाज से वह 19 साल बाद देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पाने वाले बांग्ला लेखक हैं.
घोष की प्रमुख रचनाओं में आदिम लता-गुलमोमॉय, मूखरे बारो, सामाजिक नोय, बाबोरेर प्रार्थना, दिनगुली रातगुली और निहिता पातालछाया शामिल हैं. उनका जन्म 1932 में हुआ था और उन्हें कवि, आलोचक और विद्वान के तौर पर जाना जाता है. घोष को साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, रबीन्द्र पुरस्कार जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया है.
इससे पहले बांग्ला लेखकों ताराशंकर, विष्णु डे, सुभाष मुखोपाध्याय, आशापूर्णा देवी और महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है. पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था और पिछली दफा वर्ष 2015 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से गुजराती लेखक रघुवीर चौधरी को नवाजा गया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं