Jnanpith Award
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Vinod Kumar Shukla Poem: जो मेरे घर कभी नहीं आएंगे... ज्ञानपीठ से नवाजे गए कवि विनोद कुमार शुक्ल की पढ़िए शानद
- Thursday July 24, 2025
Hindi Poem: छत्तीसगढ़ से तालुक रखने वाले विनोद कुमार शुक्ल ने कई कमाल की कविताएं लिखी हैं. उनकी कविताएं लोगों को खूब पसंद आती है.
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छत्तीसगढ़ के हिंदी के प्रसिद्ध कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Saturday March 22, 2025
Jnanpith Award: हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा. शनिवार को इसकी घोषणा हुई.
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मशहूर कवि गुलजार, संस्कृत विद्वान रामभद्राचार्य ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित
- Saturday February 17, 2024
चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और चार महाकाव्य समेत 240 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है - संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार.’’
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नहीं रहीं मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती
- Saturday January 26, 2019
- Ravish Kumar
एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
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कृष्णा सोबती बहुत याद आएगा आपका जादुई व्यक्तित्व और बेबाकपन
- Friday January 25, 2019
हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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अमिताव घोष को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार, यह उपलब्धि हासिल करने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक बने
- Saturday December 15, 2018
- Ravish Kumar
इतिहास और कल्पना के घोल से जो रसायन वह तैयार करते हैं, जितनी गहराई से अपने विषय पर शोध करते हैं और उसे जिस बारीक़ी से रचना में बदलते हैं, वह आपको बिल्कुल हैरान छोड़ जाता है. भाषा, पर्यावरण, राजनीति- जैसे जीवन का कोई पहलू उनसे छूटता नहीं. 'सी ऑफ़ पॉपीज़़' में वे इस बात की ओर ध्यान खींचते हैं कि कैसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्यवाद ने यहां की खेती बरबाद की, आम फ़सलों की जगह अफीम उगाने को मजबूर किया और पूरे उत्तर भारत के सामाजिक-आर्थिक तंत्र को झकझोर दिया.
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नहीं रहे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर कवि केदारनाथ सिंह, साहित्य जगत में शोक की लहर
- Tuesday March 20, 2018
- NDTVKhabar News Desk
हिन्दी की समकालीन कविता और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का आज यहां निधन हो गया. केदारनाथ सिंह 84 वर्ष के थे. उनके परिवार में एक पुत्र और पांच पुत्रियां हैं. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था. इसके बाद से वह बीमार चल रहे थे. पेट के संक्रमण के चलते उनका आज रात करीब पौने नौ बजे एम्स में निधन हो गया.
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Kuppali Venkatappa Puttappa’s 113th Birthday : गूगल ने बनाया डूडल, फिल्म ने बढ़ा दी थी Kuvempu के Novel की बिक्री
- Friday December 29, 2017
आज गूगल ने अपना डूडल कन्नड़ भाषा के कवि कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को समर्पित किया है. आज उनका 113वीं जयंती है. गूगल ने Kuppali Venkatappa Puttappa’s 113th Birthday शीर्षक से अपना डूडल बनाया है. वे कुवेंपू के नाम से लिखते थे. उनका जन्म 29 दिसंबर, 1904 में मैसूर के कोप्पा तालुक में हुआ था.
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शंख घोष ने नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया बांग्ला साहित्य, मिल चुके हैं कई अवॉर्ड्स
- Sunday December 25, 2016
शंख घोष की प्रमुख रचनाओं में आदिम लता-गुलमोमॉय, मूखरे बारो, सामाजिक नोय, बाबोरेर प्रार्थना, दिनगुली रातगुली और निहिता पातालछाया शामिल हैं. उन्हें कवि, आलोचक और विद्वान के तौर पर जाना जाता है और उनकी पहचान बांग्ला साहित्य में ऊर्जा भरने वाले कवि के रूप में है.
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1965 से अब तक इन कवियों और लेखकों को मिल चुका है ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Friday December 23, 2016
ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप 11 लाख रुपये, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है. प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था. जिसके बाद यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है. अब तक 56 लेखकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. साल 1967, 1973, 1999, 2006 और 2009 में यह पुरस्कार दो-दो लोगों को दिया गया था.
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जाने-माने बांग्ला कवि और आलोचक शंख घोष को मिलेगा 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Friday December 23, 2016
- Bhasha
ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2016 में आधुनिक बांग्ला साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित बांग्ला कवि शंख घोष को दिया जायेगा. दो दशकों के बाद किसी बांग्ला लेखक को देश का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया है. पुरस्कार के रूप में शंख घोष को वाग्देवी की प्रतिमा, 11 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा.
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साहित्यकार रघुवीर चौधरी को मिलेगा वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Tuesday December 29, 2015
- Reported By NDTVKhabar.com Team
साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। उनका चयन जाने-माने आलोचक डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया है। रघुवीर को अगले वर्ष एक समारोह में 51वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
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मराठी साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Friday February 6, 2015
मराठी के मशहूर साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। नेमाड़े देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पाने वाले 55वें साहित्यकार हैं। इससे पहले पांच दफा संयुक्त रूप से यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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Vinod Kumar Shukla Poem: जो मेरे घर कभी नहीं आएंगे... ज्ञानपीठ से नवाजे गए कवि विनोद कुमार शुक्ल की पढ़िए शानद
- Thursday July 24, 2025
Hindi Poem: छत्तीसगढ़ से तालुक रखने वाले विनोद कुमार शुक्ल ने कई कमाल की कविताएं लिखी हैं. उनकी कविताएं लोगों को खूब पसंद आती है.
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छत्तीसगढ़ के हिंदी के प्रसिद्ध कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Saturday March 22, 2025
Jnanpith Award: हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा. शनिवार को इसकी घोषणा हुई.
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मशहूर कवि गुलजार, संस्कृत विद्वान रामभद्राचार्य ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित
- Saturday February 17, 2024
चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और चार महाकाव्य समेत 240 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है - संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार.’’
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नहीं रहीं मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती
- Saturday January 26, 2019
- Ravish Kumar
एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
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कृष्णा सोबती बहुत याद आएगा आपका जादुई व्यक्तित्व और बेबाकपन
- Friday January 25, 2019
हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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अमिताव घोष को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार, यह उपलब्धि हासिल करने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक बने
- Saturday December 15, 2018
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इतिहास और कल्पना के घोल से जो रसायन वह तैयार करते हैं, जितनी गहराई से अपने विषय पर शोध करते हैं और उसे जिस बारीक़ी से रचना में बदलते हैं, वह आपको बिल्कुल हैरान छोड़ जाता है. भाषा, पर्यावरण, राजनीति- जैसे जीवन का कोई पहलू उनसे छूटता नहीं. 'सी ऑफ़ पॉपीज़़' में वे इस बात की ओर ध्यान खींचते हैं कि कैसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्यवाद ने यहां की खेती बरबाद की, आम फ़सलों की जगह अफीम उगाने को मजबूर किया और पूरे उत्तर भारत के सामाजिक-आर्थिक तंत्र को झकझोर दिया.
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नहीं रहे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर कवि केदारनाथ सिंह, साहित्य जगत में शोक की लहर
- Tuesday March 20, 2018
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हिन्दी की समकालीन कविता और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का आज यहां निधन हो गया. केदारनाथ सिंह 84 वर्ष के थे. उनके परिवार में एक पुत्र और पांच पुत्रियां हैं. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था. इसके बाद से वह बीमार चल रहे थे. पेट के संक्रमण के चलते उनका आज रात करीब पौने नौ बजे एम्स में निधन हो गया.
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Kuppali Venkatappa Puttappa’s 113th Birthday : गूगल ने बनाया डूडल, फिल्म ने बढ़ा दी थी Kuvempu के Novel की बिक्री
- Friday December 29, 2017
आज गूगल ने अपना डूडल कन्नड़ भाषा के कवि कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को समर्पित किया है. आज उनका 113वीं जयंती है. गूगल ने Kuppali Venkatappa Puttappa’s 113th Birthday शीर्षक से अपना डूडल बनाया है. वे कुवेंपू के नाम से लिखते थे. उनका जन्म 29 दिसंबर, 1904 में मैसूर के कोप्पा तालुक में हुआ था.
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शंख घोष ने नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया बांग्ला साहित्य, मिल चुके हैं कई अवॉर्ड्स
- Sunday December 25, 2016
शंख घोष की प्रमुख रचनाओं में आदिम लता-गुलमोमॉय, मूखरे बारो, सामाजिक नोय, बाबोरेर प्रार्थना, दिनगुली रातगुली और निहिता पातालछाया शामिल हैं. उन्हें कवि, आलोचक और विद्वान के तौर पर जाना जाता है और उनकी पहचान बांग्ला साहित्य में ऊर्जा भरने वाले कवि के रूप में है.
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1965 से अब तक इन कवियों और लेखकों को मिल चुका है ज्ञानपीठ पुरस्कार
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ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप 11 लाख रुपये, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है. प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था. जिसके बाद यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है. अब तक 56 लेखकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. साल 1967, 1973, 1999, 2006 और 2009 में यह पुरस्कार दो-दो लोगों को दिया गया था.
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जाने-माने बांग्ला कवि और आलोचक शंख घोष को मिलेगा 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Friday December 23, 2016
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ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2016 में आधुनिक बांग्ला साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित बांग्ला कवि शंख घोष को दिया जायेगा. दो दशकों के बाद किसी बांग्ला लेखक को देश का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया है. पुरस्कार के रूप में शंख घोष को वाग्देवी की प्रतिमा, 11 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा.
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साहित्यकार रघुवीर चौधरी को मिलेगा वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Tuesday December 29, 2015
- Reported By NDTVKhabar.com Team
साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। उनका चयन जाने-माने आलोचक डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया है। रघुवीर को अगले वर्ष एक समारोह में 51वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
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मराठी साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
- Friday February 6, 2015
मराठी के मशहूर साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। नेमाड़े देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पाने वाले 55वें साहित्यकार हैं। इससे पहले पांच दफा संयुक्त रूप से यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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