
प्रेरणा की शादी को इस सितम्बर में 1 साल पूरे हो जाएंगे. पिछले 7 महीनों से वो दिल्ली में रह रही है. सास टीबी से पीड़ित थीं, जिनका शादी से एक महीने पहले ही देहांत हो गया. ससुर हैं जो लखनऊ में ही रहते हैं, क्योंकि उन्हें दिल्ली का पॉल्यूशन पसंद नहीं. प्रेरणा की ये अरेंज मैरिज है, हांलाकि वो लव मैरिज करना चाहती थी. लेकिन सुमित को देख उसने अपना फैसला बदल लिया. वजह थी सुमित का प्रेरणा के काम को सपोर्ट. प्रेरणा इस बात से खुश थी कि सुमित बहुत ही सुलझा लड़का है, जिसे लड़कियों और उनके काम की रिसपेक्ट करना आता है, इसीलिए वो मुझे भी हमेशा खुश रखेगा.
दिसम्बर की कड़कती ठंड में लखनऊ में शादी हुई और दुल्हन के साथ दहेज भी घर में आया. लेकिन सुमित की अच्छाई के आगे प्रेरणा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा. क्योंकि उसका मानना है कि इंसान अच्छा होना चाहिए और दहेज सुमित के पिता ने मांगा, उसने नहीं. सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था. शादी को एक महीना बीता और देखते ही देखते 5 महीने हो गए. इस बीच सुमित का दिल्ली आना-जाना चलता रहता था. क्योंकि सुमित का हार्डवेयर का काम था और वो अपने दोस्तों के साथ ही दिल्ली में ज्यादा वक्त बिताता था.
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सुमित का बार-बार दिल्ली आना-जाना देख उसके पिता ने प्रेरणा के साथ उसे दिल्ली शिफ्ट करने को कहा. प्रेरणा इस बात से बेहद खुश थी, क्योंकि वो दिल्ली की ही थी और अब वापस अपने शहर लौट रही थी. और इस बार उसका सुमित उसके साथ था. यहां आकर वो अपने मैट्रिमोनियल कंपनी में बतौर कॉर्डिनेटर काम को फिर से जॉइन करना चाहती थी.
सुमित और प्रेरणा दिल्ली आ गए. शुरू के दिनों में सुमित के दोस्तों (जो हार्डवेयर के काम में साथ हैं) का घर आना आम बात थी, जिसे प्रेरणा पॉज़िटिव तरीके से ही लेती थी. यहां वो सुबह 6 बजे उठकर अपने और सुमित के लिए और कभी-कभी सुमित के दोस्तों का भी नाश्ता और लंच बनाकर ऑफिस जाया करती थी. लेकिन धीरे-धीरे सुमित के दोस्तों का बार-बार आना और पार्टी करना, घर गंदा करना और कभी-भी किसी भी वक्त आ जाना प्रेरणा को खटकने लगा था. ये सब उसकी प्राइवेट लाइफ पर असर कर रहा था. घर और ऑफिस के बीच बहुत कम ही समय वो सुमित के साथ बिता पाती थी और उसमें भी उसके दोस्त आ जाया करते थे.
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एक दिन प्रेरणा ने सुमित से इस बारे में बात की, लेकिन सुमित ने इस बात को ना समझते हुए अनसुना किया. धीरे-धीरे दोस्तों की वजह से प्रेरणा और सुमित में कहासुनी और झगड़े भी होने लगे. एक दिन रात को सुमित और उसके दोस्त ड्रिंक करते हुए शोर कर रहे थे. प्रेरणा ने गुस्से में आकर सुमित का गिलास फेंक दिया और जवाब में सुमित ने दोस्तों के ही सामने प्रेरणा को थप्पड़ जड़ दिया. ये पहला मौका था जब सुमित ने प्रेरणा के साथ इस तरह बिहेव किया.
प्रेरणा के साथ सुमित का दोस्तों के सामने चिल्लाना आम हो चला था. सुमित का शॉर्ट टेम्पर्ड बिहेवियर अब बार-बार प्रेरणा को दुखी कर रहा था. दोस्तों के चक्कर में छोटी-छोटी बातों पर दोनों में झगड़ा हो रहा था. प्रेरणा जितना सुमित को रोकती वो उतना ही रूड बिहेवियर उसके साथ करता. सुमित के इस व्यवहार को लेकर प्रेरणा ने उसके पिता और अपने घरवालों से बात की, बावजूद कोई सॉल्यूशन नहीं निकला. सुमित ना दोस्तों को छोड़ने को तैयार था और ना प्रेरणा सुमित को उसके दोस्तों की वजह से छोड़ने को तैयार थी. इन सबके बीच जो एक बात प्रेरणा को सुमित से बांधे हुई थी वो था उसका काम. क्योंकि कितना भी झगड़ा हो सुमित ने कभी भी प्रेरणा को उसके काम और फ्रीडम के लिए कभी ना टोका और ना रोका.
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इसीलिए आज भी आलम में ये है दिल्ली के इस दो कमरों के घर में प्रेरणा, सुमित और उसके दोस्त साथ में रहते हैं. शायद प्रेरणा ने अपनी फ्रीडम को बचाने के चक्कर में प्राइवेसी से कॉम्प्रोमाइज़ कर लिया. उसे मालूम है घर के बाहर काम के दौरान बिताए गए कुछ घंटे ही उसे सुकून देते हैं. और ये उम्मीद भी है कि सुमित के साथ यहां रहकर वो कभी ना कभी उसके इन बुरे दोस्तों से उसे कभी ना कभी निकाल ही लेगी.
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