
दुनिया में बहुत से फिल्म स्टार्स हैं और फिर हैं टॉम क्रूज — वो शख्स जिसने लगभग तीन दशकों में Mission: Impossible फ्रेंचाइजी को हाई-ऑक्टेन स्टंट्स की एक मास्टरक्लास बना दिया. जब 1996 में पहली फिल्म रिलीज हुई थी, तब उसकी पहचान एक ही सांस रोक देने वाले सीन से बनी थी — क्रूज एक प्रेशर-सेंसिटिव फ्लोर के ठीक ऊपर, हवा में लटकते हुए. सन्नाटा ऐसा कि बस एक पसीने की बूंद की आवाज सुनाई दे. उस दौर में ये सीन क्रांतिकारी था. लेकिन आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो वो सीन मानो सिर्फ वॉर्म-अप लगता है. क्योंकि इसके बाद हर फिल्म के साथ क्रूज ने सिर्फ बार नहीं बढ़ाई — उसने उसे सीधे खाई में फेंक दिया.
Mission: Impossible 2 में वो यूटा की डेड हॉर्स पॉइंट की सीधी खड़ी चट्टानों पर बिना हार्नेस, बिना स्टंट डबल के चढ़ते दिखे. Mission: Impossible 3 में एक्शन और ज्यादा तेज, टाइट और इंटेंस हो गया — हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट और दमदार चेज सीक्वेंसेज के साथ. फिर आई Ghost Protocol, और बुर्ज खलीफा. क्रूज ने सिर्फ दुनिया की सबसे ऊंची इमारत पर चढ़ाई नहीं की, बल्कि सैकड़ों फीट ऊपर उसकी दीवारों पर दौड़ भी लगाई — बस एक शीशे की परत के सहारे.

स्टंट ऐसे जो होश उड़ा दें.
Rogue Nation में वो उड़ते हुए मिलिट्री प्लेन के दरवाजे पर लटके रहे, और कैमरा रोल करता रहा. Fallout में 25,000 फीट से HALO जंप, हिमालय की घाटियों के बीच हेलिकॉप्टर उड़ाना, और लंदन की छतों पर भागते हुए टखना तक तुड़वा लिया — लेकिन वो दौड़ते रहे.

स्टंट के मामले में हर बार एक लेवल अप होते हैं टॉम.
इन स्टंट्स का साइज ही नहीं, उनका इमर्सिव नेचर भी बढ़ता गया. हर एक सीन प्लानिंग से लेकर रियल वर्ल्ड में एक्सीक्यूट करने तक, एक डेडिकेशन का नमूना बना. हर फिल्म पिछली फिल्म के स्तर को पार करती गई — और इस पूरे सफर की कमान संभाली एक ऐसे 60 वर्षीय एक्टर ने, जो न सिर्फ खुद स्टार हैं, बल्कि प्रोड्यूस कर रहे हैं, और ये स्टंट्स करने के लिए खुद ट्रेनिंग भी लेते हैं.
और हैरानी की बात ये है कि ये सब कभी भी बेफिक्र होकर नहीं किया गया. हर स्टंट महीनों की प्रैक्टिस, साल भर की ट्रेनिंग, और पूरी टेक्निकल टीम की प्लानिंग का नतीजा है. क्रूज खुद हर स्टंट की प्लानिंग में शामिल होते हैं — ताकि वो मोमेंट सिर्फ हैरतअंगेज न हो, बल्कि खतरनाक, परफेक्ट और यादगार भी बने.
अब Mission: Impossible – The Final Reckoning में हमें क्रूज का अब तक का सबसे बड़ा स्टंट देखने को मिलेगा — जिसमें एक प्लेन, 8000 फीट की ऊंचाई और 140 मील प्रति घंटे की रफ्तार के बीच क्रूज हवा में होंगे. सुनने में चाहे डेयर लगे, लेकिन उनके करियर को देखते हुए, ये स्टंट भी इसी सफर का अगला (हालांकि एक्सट्रीम) कदम लगता है.
ये फ्रेंचाइज़ी शुरू से ही असंभव को संभव करने की कहानी रही है. लेकिन टॉम क्रूज ने फिल्म दर फिल्म, स्टंट दर स्टंट, इम्पॉसिबल को रियल फील कराया है. न CGI से, न शॉर्टकट्स से — बल्कि अपनी इच्छाशक्ति, तैयारी और उस रिस्क के कमिटमेंट से, जो आज के ब्लॉकबस्टर दौर में लगभग खत्म हो चुका है.
क्रूज ने सिर्फ एक एक्शन हीरो को नहीं बदला — उसकी परिभाषा ही बदल दी और जब ये आख़िरी मिशन बड़े पर्दे पर उतरेगा, तब वो सिर्फ एक फ्रेंचाइजी का क्लोजर नहीं, बल्कि सिनेमा के स्टंट इतिहास की सबसे जबरदस्त और हैरतअंगेज जर्नी का आखिरी चैप्टर होगा.
फिल्म भारत में 17 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है — इंग्लिश, हिंदी, तमिल और तेलुगु में IMAX के साथ!
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