Connaught Place Name Change Story: दिल्ली घूमने के नाम पर ज्यादातर लोगों के जहन में लाल किला, इंडिया गेट, कुतुब मीनार, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन का नाम आता है. इन सबके बीच एक नाम और भी लोगों को बेहद अट्रैक्ट करता है. इसे लोग दिल्ली का दिल कहते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं कनॉट प्लेस की. शॉपिंग हो, घूमने जाना हो या दोस्तों से मिलना, सीपी के बिना दिल्ली अधूरी सी लगती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कनॉट प्लेस का नाम कब बदला गया, क्यों बदला गया और पहले इसका नाम क्या हुआ करता था. अगर नहीं तो चलिए जानते हैं.
कनॉट प्लेस नाम कैसे पड़ा
ब्रिटिश शासन के समय दिल्ली को एक नई राजधानी के तौर पर बसाया जा रहा था. अंग्रेजों ने अपनी शान दिखाने के लिए कई बड़ी और भव्य इमारतें बनाईं. कनॉट प्लेस भी उसी दौर की देन है. इस इलाके का निर्माण 1929 में शुरू हुआ और 1933 में पूरा हुआ. इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न के नाम पर रखा गया था. कनॉट प्लेस की गोलाई में बनी इमारतें घोड़े की नाल जैसी दिखती हैं. इसकी डिजाइन ब्रिटेन के रॉयल क्रीसेंट से इंस्पायर मानी जाती है. यही वजह है कि आज भी इसकी बनावट लोगों को खास लगती है.
कनॉट प्लेस का नाम कब बदला गया
करीब 60 साल तक यह इलाका कनॉट प्लेस के नाम से ही जाना गया, लेकिन 90 के दशक में देश में कई बड़े बदलाव हो रहे थे. उसी दौर में सरकार ने दिल्ली की कई जगहों के नाम बदलने का फैसला लिया. 1995 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया था कि, कनॉट प्लेस का नाम बदलकर राजीव चौक और कनॉट सर्कस का नाम बदलकर इंदिरा चौक कर दिया गया. सरकार का तर्क था कि देश की राजधानी के बीचों-बीच किसी विदेशी शख्स का नाम नहीं होना चाहिए.
कनॉट प्लेस का नाम बदलते ही क्यों मच गया बवाल?
नाम बदलने का फैसला सामने आते ही विवाद शुरू हो गया. कनॉट प्लेस के दुकानदारों ने इसका विरोध किया और 24 अगस्त को अपनी दुकानें बंद रखीं. मामला यहीं नहीं रुका, विपक्षी दलों ने भी संसद में जोरदार विरोध किया और दो दिन तक संसद का कामकाज ठप रहा. कई नेताओं का कहना था कि पहले से ही एक परिवार के नाम पर बहुत सारे स्मारक मौजूद हैं, ऐसे में एक और ऐतिहासिक जगह का नाम बदलना ठीक नहीं है. इस पूरे विवाद के दौरान राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हुई. उस वक्त कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि सरकार को लगा कि दिल्ली के सबसे अहम इलाके का नाम किसी विदेशी शख्स के नाम पर नहीं होना चाहिए.
आज कनॉट प्लेस की क्या स्थिति है
कागजों में और सरकारी रिकॉर्ड में यह इलाका राजीव चौक ही है. दिल्ली मेट्रो स्टेशन का नाम भी राजीव चौक है. यह पूरा क्षेत्र NDMC (नई दिल्ली नगरपालिका परिषद) के तहत आता है और इसके रखरखाव पर अलग से पैसा खर्च किया जाता है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आज भी आम लोग इसे कनॉट प्लेस या सीपी ही कहते हैं.
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