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न परमाणु बम का असर, न सिर कटने पर मौत... जानें धरती पर कब से मौजूद हैं कॉकरोच

कॉकरोच धरती पर करोड़ों साल से मौजूद हैं और डायनासोर से भी पहले आए थे. उनकी बॉडी स्ट्रक्चर, मजबूत एक्सोस्केलेटन और जबरदस्त एडेप्टेबिलिटी उन्हें सिर कटने के बाद भी जिंदा रखती है.इन्हें धरती का सबसे हार्डकोर सर्वाइवर माना जाता है.

न परमाणु बम का असर, न सिर कटने पर मौत... जानें धरती पर कब से मौजूद हैं कॉकरोच
धरती पर कब से मौजूद हैं कॉकरोच

Cockroach Survival Facts History: कॉकरोच यानी तिलचट्टा देखते ही कई लोगों के हाथ-पांव कांप जाते हैं. कई-कई महिलाएं तो जोर-जोर से चिखने-चिल्लाने तक लगती हैं. ये छोटे-छोटे स्प्रिंटर घर में इधर-उधर भागते मिल जाते हैं. इन्हें कितना भी भगाओ, मारो, स्प्रे करो, लेकिन फिर लौट आते हैं. इन्हें धरती का सबसे टफ सर्वाइवर माना जाता है. ऐसा सर्वाइवर जो डायनासोर को जाते हुए देख चुका है और आज भी उसी बेफिक्र अंदाज में घर के वॉशरूम, किचन में दौड़ता रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये छोटा-सा कीड़ा धरती पर कब से मौजूद है, इस पर परमाणु बम का असर भी नहीं होता है. अगर नहीं तो इस आर्टिकल में जानिए कॉकरोच को लेकर ऐसे फैक्ट्स, जो आपका सिर चकरा देंगे.

धरती पर कब से मौजूद हैं कॉकरोच

वैज्ञानिकों के मुताबिक, कॉकरोच बेहद पुराने जीव हैं, इतने पुराने कि ये डायनासोर से भी पहले धरती पर घूम रहे थे. ये करीब 30-35 करोड़ साल से मौजूद हैं. इस दौरान मौसम बदला, धरती का स्वरूप बदला, बड़े-बड़े जीव खत्म हो गए लेकिन तिलचट्टे आज भी इधर-उधर भागते मिल जाएंगे. यही वजह है कि इन्हें धरती के सबसे पुराने और सबसे जिद्दी जीवों में गिना जाता है.

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सिर कट जाने पर भी जिंदा रहते हैं कॉकरोच

सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन कॉकरोच सिर कटने के बाद भी कुछ दिन तक जिंदा रह सकते हैं. इसका कारण उनका शरीर है. इनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों में छोटे-छोटे कंट्रोल सेंटर होते हैं, इसलिए सिर कटने पर भी ये कुछ दिन तक जिंदा रह सकते हैं. ये सांस नाक-मुंह से नहीं बल्कि शरीर में बने छोटे छेदों यानी स्पाइरेकल्स से लेते हैं. बिना पानी इनका बस नहीं चलता है, इसलिए पानी न मिलने पर एक हफ्ते में मर जाते हैं.

कॉकरोच रात में ही ज्यादा क्यों दिखते हैं?

कॉकरोच रात में ज्यादा एक्टिव होते हैं, क्योंकि ये नॉक्टरनल होते हैं. मतलब अंधेरा इनका कंफर्ट जोन है. दिन में ये कोनों, दरारों और सिंक के पीछे छिपकर बैठे रहते हैं और रात में खाना-पानी की तलाश में बाहर निकलते हैं.

क्या कॉकरोच परमाणु बम झेल सकते हैं?

कॉकरोच को लेकर एक पॉपुलर लाइन है कि न्यूक्लियर ब्लास्ट हुआ तो सिर्फ कॉकरोच बचेंगे. सच ये है कि जहां सीधा धमाका होगा, वहां ये भी नहीं बच पाएंगे. लेकिन इनके शरीर का स्ट्रक्चर कुछ ऐसा होता है कि ये रेडिएशन को झेल लेता है. यानी भले ही इंसान या बाकी जीव इससे खत्म हो जाएं, लेकिन कॉकरोच फिर भी जिंदा रह सकते हैं.

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