झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections 2024) में महागठबंधन को बहुमत मिला है. राज्य की 81 विधानसभा सीटों में गठबंधन ने कुल 56 सीटें जीती हैं. 28 नवंबर को हेमंत सोरेन ने एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है, लेकिन अब तक अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है. हेमंत सोरेन की पिछली सरकार की तुलना में इस बार नई सरकार बदली-बदली नजर आएगी. इसकी 2 बड़ी वजहें हैं. पहली वजह सरकार के चार मंत्रियों का चुनाव हारना और दूसरी वजह गठबंधन में नए दल की एंट्री है.
झारखंड में मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं. पिछली बार मुख्यमंत्री और 6 मंत्री पद झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिले थे. वहीं 4 मंत्री पद कांग्रेस को और एक मंत्री पद आरजेडी को दिया गया था. झारखंड में पिछली बार 4 विधायकों पर एक मंत्री पद रखा गया था. इस फॉर्मूले की वजह से कांग्रेस को 4 और जेएमएम को 7 पद मिले थे. वहीं आरजेडी को एक मंत्री पद दिया गया था.
एक मंत्री पद, 5 विधायकों के समर्थन का फॉर्मूला!
इस बार सीटों की संख्या में बदलाव हुआ है और कहा जा रहा है कि इस बार एक मंत्री पद के लिए करीब 5 विधायकों का समर्थन चाहिए. इस लिहाज से कांग्रेस के कोटे में मंत्री पद की संख्या घट सकती है. कांग्रेस के पास 16 विधायक हैं. वहीं इन चुनावों में जेएमएम ने 34 सीटों पर जीत हासिल की है.
झारखंड में हेमंत सोरेन की कैबिनेट विस्तार में हो रही देरी पर बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि गठबंधन में मंत्री पद के लिए खींचतान चल रही है.
मंत्रिमंडल गठन में देरी से कई तरह के लग रहे कयास
शपथ ग्रहण के बाद किसी और मंत्री के शपथ नहीं लेने के बारे में पूछे जाने पर बिहार से कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने कहा था, "सब कुछ ठीक है. सरकार का गठन हो गया है. अब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. सब जगह ऐसा ही होता है. गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है."
हालांकि शपथ ग्रहण को काफी वक्त हो चुका है और इसके बावजूद मंत्रिमंडल का गठन नहीं होना कई तरह के कयासों को जन्म दे रहा है.
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