14 जून को श्रीनगर में शुजात बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
- शुजात बुखारी के हमलावरों की हुई पहचान
- सूत्रों के मुताबिक एक हमलावर पाकिस्तान का
- 14 जून को शुजात बुखारी की हत्या कर दी गई थी
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श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिलने की ख़बर है. बताया जा रहा है कि पत्रकार शुजात बुखारी के हमलावरों की पहचान हो गई है. इनमें दो दक्षिणी कश्मीर के हैं और एक पाकिस्तान का नागरिक है. सूत्रों के मुताबिक इन हमलों में नावीद जट्ट शामिल है जो पिछले दिनों श्रीनगर के अस्पताल से भाग निकला था. नावीद जट्ट पाकिस्तान का है और लश्कर से जुड़ा है.
हत्या के चंद घंटे पहले तक पत्रकारिता एवं मानवाधिकार का बचाव करते रहे शुजात बुखारी
शुजात बुखारी की हत्या 14 जून को उनके दफ्तर के बाहर कर दी गई थी.
बता दें कि जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 14 जून को वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्यारे बाइक पर सवार होकर आए थे, जिसका फुटेज सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गया था, हालांकि उनका चेहरा नहीं दिख रहा था, क्योंकि हमलावरों ने हेलमेट पहन रखा था.

बता दें, शुजात बुख़ारी एक दौर में द हिंदू अख़बार के ब्यूरो चीफ़ रह चुके थे. उन्हें पत्रकारिता के लिए कई अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप मिली थी. मनीला और सिंगापुर तक के पत्रकारिता संस्थानों से वो जुड़े रहे. दिल्ली में भी बरसों काम करते रहे. शुजात बुख़ारी की हत्या ऐसे समय हुई जब कश्मीर में ये बहस चल रही थी कि रमज़ान के महीने के बाद भी संघर्ष विराम बढ़ाया जाए या नहीं.
VIDEO : कश्मीर में किसी भी सूरत में अमन चाहते थे शुजात बुख़ारी
बता दें कि कुछ दिन पहले ही खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व विशेष निदेशक एएस दुलत ने कहा था कि शुजात बुखारी ने हत्या से कुछ दिन पहले ही सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से संपर्क किया था.
हत्या के चंद घंटे पहले तक पत्रकारिता एवं मानवाधिकार का बचाव करते रहे शुजात बुखारी

बता दें कि जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 14 जून को वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्यारे बाइक पर सवार होकर आए थे, जिसका फुटेज सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गया था, हालांकि उनका चेहरा नहीं दिख रहा था, क्योंकि हमलावरों ने हेलमेट पहन रखा था.

बता दें, शुजात बुख़ारी एक दौर में द हिंदू अख़बार के ब्यूरो चीफ़ रह चुके थे. उन्हें पत्रकारिता के लिए कई अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप मिली थी. मनीला और सिंगापुर तक के पत्रकारिता संस्थानों से वो जुड़े रहे. दिल्ली में भी बरसों काम करते रहे. शुजात बुख़ारी की हत्या ऐसे समय हुई जब कश्मीर में ये बहस चल रही थी कि रमज़ान के महीने के बाद भी संघर्ष विराम बढ़ाया जाए या नहीं.
VIDEO : कश्मीर में किसी भी सूरत में अमन चाहते थे शुजात बुख़ारी
बता दें कि कुछ दिन पहले ही खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व विशेष निदेशक एएस दुलत ने कहा था कि शुजात बुखारी ने हत्या से कुछ दिन पहले ही सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से संपर्क किया था.
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