
जम्मू-कश्मीर के फेमस टूरिस्ट स्पॉट पहलगाम की बैसारन घाटी हुए कायराना आतंकी हमले ने एक बार फिर आतंकवाद की भयावह तस्वीर सामने ला दी है. अब NDTV की विशेष पड़ताल में पता चला है कि इस बर्बर हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का वही खतरनाक मॉड्यूल है, जिसने अक्टूबर 2024 में सोनमर्ग की जेड-मोड टनल पर काम कर रहे मजदूरों और एक डॉक्टर पर हमला किया था, आतंकियों के इस हमले में छह मजदूरों और एक डॉक्टर की जान चली गई थी.
लश्कर का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा
NDTV ने सबसे पहले इस मॉड्यूल और इसके आतंकी कारनामों का खुलासा किया था. जांच में सामने आया है कि दोनों हमलों में लश्कर के आतंकी हाशिम मूसा का अहम हाथ था. यह मॉड्यूल कश्मीर घाटी में लंबे समय से सक्रिय है और कई हाई-प्रोफाइल हमलों में शामिल रहा है. सोनमर्ग हमले के बाद दिसंबर 2024 में दाचीगाम में हुई मुठभेड़ में इस मॉड्यूल का एक प्रमुख आतंकी, जुनैद अहमद भट्ट मारा गया था. इस मुठभेड़ में दो अन्य आतंकी भी ढेर किए गए थे.
जेड-मोड टनल: रणनीतिक महत्व और आतंकी निशाना
सोनमर्ग में 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोर्ड टनल, जिसे हाल ही में 13 जनवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया, श्रीनगर को कारगिल और लेह से जोड़ती है. यह टनल न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी गेम-चेंजर है. इसके बनने से श्रीनगर से कारगिल और लेह की दूरी कम हो गई है, और अब साल भर सुरक्षित यात्रा संभव है. पहले बर्फबारी और हिमस्खलन के कारण यह मार्ग कई महीनों तक बंद रहता था. लेकिन यह टनल आतंकियों के निशाने पर भी रही है.
अक्टूबर 2024 में हुए हमले में आतंकियों ने टनल निर्माण स्थल पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें सात लोगों की जान चली गई थी. NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट में स्थानीय लोगों और सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि आतंकी इस टनल को निशाना बनाकर क्षेत्र में दहशत फैलाना चाहते थे, क्योंकि यह भारत की रक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
पहलगाम और सोनमर्ग के हमलों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आतंकवाद अब भी कश्मीर के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है. लश्कर-ए-तैयबा का यह मॉड्यूल, जिसमें हाशिम मूसा जैसे आतंकी शामिल हैं, लगातार घाटी में दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है. सुरक्षा एजेंसियाँ इस मॉड्यूल को पूरी तरह खत्म करने के लिए अभियान चला रही हैं. NDTV की यह ग्राउंड रिपोर्ट न केवल आतंकी खतरों की हकीकत को सामने लाती है, बल्कि जेड-मोर्ड टनल जैसे बुनियादी ढांचे के महत्व को भी रेखांकित करती है, जो कश्मीर को प्रगति और विकास की नई राह पर ले जा रहा है.
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