देश में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का मुद्दा छाया हुआ है. इसे लेकर अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि इस मुद्दे पर सहमत होना या न होना आपका विवेक है, लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए. धनखड़ ने राजस्थान के कोटा में शहर के विभिन्न संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं से संवाद के दौरान यह बात कही. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर विद्यार्थी को इतिहास पढ़ना चाहिए और आजादी के गुमनाम नायकों के बारे में जानना चाहिए.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद में व्यवधानों को अनुचित बताते हुए कहा कि देश की सबसे बड़ी पंचायत संवाद और विचार-विमर्श का मंच होनी चाहिए ना कि शोर-शराबे और हंगामे की. उन्होंने कहा, "एक मुद्दा आया वन नेशन- वन इलेक्शन का. कह रहे हैं, हम चर्चा ही नहीं करेंगे! अरे चर्चा करना आपका काम है, उससे सहमत होना या ना होना आपका विवेक है." धनखड़ ने आगे कहा, "लोकतंत्र में चर्चा नहीं होगी तो वह लोकतंत्र कहां है? लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए आवश्यक है कि चर्चा और विमर्श हो."
भारतीय इतिहास पढ़ाने से संबंधित एक छात्र के प्रश्न के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर छात्र-छात्रा को इतिहास पढ़ना चाहिए, भले ही उनके अध्ययन के विषय कुछ भी हों. इससे हमें स्वतंत्रता बलिदानियों के बारे में जानने को मिलता है. उन्होंने कहा कि अमृत काल में हमें अनेक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को जानने का अवसर मिला है.
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि भारतीय होने और भारत की उपलब्धियों पर गर्व कीजिये और हर हाल में राष्ट्र को सर्वोपरि रखिए.
धनखड़ ने छात्रों से कहा कि वे कभी टेंशन ना लें और असफलता के भय से भयभीत न हों. असफलता का भय सबसे बुरी बीमारी है. दुनिया का कोई भी बड़ा काम एक प्रयास में नहीं हुआ है.
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