साल 2019 में जब मोदी सरकार प्रचंड बहुमत से आई तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थव्यवस्था को उबारने की खड़ी हो गई.आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है. सरकार बनते ही मंदी की आहट शुरू हो गई. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगातार जारी गिरावट की खबरों की बीच ऑटो सेक्टर में जब यूनिटों में काम बंद होने की खबरें आने शुरू हुईं तो मीडिया ने भी इस पर ध्यान देना शुरू किया और सरकार के भी कान खड़े हो गए.वाहनों की बिक्री में गिरावट की वजह यह भी है कि सरकार बड़े जोर शोर से इलेक्ट्रिक वाहनों और बीएस-6 इंजन लाने का ऐलान कर रही थी. जिससे आम ग्राहकों को लगा कि इस मौजूदा पुराने इंजनों को सरकार बंद करने वाली है. दूसरी ओर से जीएसटी और नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में भी बेतहाशा गिरावट है. ऑटो और मैन्युफैक्चरिंग के बाद ये सेक्टर भी सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला है और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार पहले से ही जूझ रही थी. इस बीच सरकार ने मंदी की ओर जाती अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कई अहम कदम भी उठाए हैं
1-कारपोरेट टैक्स में कटौती
चीन और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड वार को देखते हुए भारत के पास विदेशी निवेश को बढ़ाने का अच्छा मौका है. इसको देखते हुए सरकार की ओर से कारपोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया गया है. कारपोरेट टैक्स घटाकर 30 फीसदी से 25.2 फीसदी कर दिया है.
2-रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने की कोशिश
फंड की कमी से अटके मिडिल क्लॉस किफ़ायती हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए सहायता का ऐलान किया गया. इसके लिए सरकार 10000 करोड़ देगी. लेकिन इसका लाभ वही बिल्डर्स उठा पाएंगे जिनका NPA नहीं है और न ही जिनके केस दिवालिया अदालत में चल रहे हैं.
3-ऑटो सेक्टर को राहत
31 मार्च 2020 तक खरीदी गईं बीएस फोर गाड़ियां अब मान्य की गईं. रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोतरी भी जून 2020 तक टाल दी गई. नई सरकारी गाड़ियों की खरीद पर रोक भी हटा ली गई.
4-टैक्स के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा
लॉन्ग, शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन सरचार्ज वापस लिया गया. सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनस और ईज ऑफ लिविंग पर फोकस कर रही है. केंद्रीय सिस्टम से नोटिस भेजे जाने शुरू किए गए. टैक्स के नाम पर किसी को परेशान नहीं करने का ऐलान.
5-स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एंजल टैक्स वापस
स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों की दिक्कतों को दूर करने के लिए उनके लिए एंजल कर के प्रावधान को भी वापस लेने का फैसला किया गया. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के तहत स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाने का ऐलान किया गया.
6-ब्याज दरों में कटौती
केंद्रीय बैंक 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है. सुस्त पड़ती वृद्धि को रफ्तार देने और वित्तीय प्रणाली में धन उपलब्धता की स्थिति को बढ़ाने के लिए नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कमी की गई. इस समय रेपो दर 5.15 प्रतिशत है. हालांकि दिसंबर के पहले हफ्ते में हुई मौद्रिक नीति की समीक्षा में दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया.
7-सस्ते कर्ज का उपाय
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआती दौर में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने का ऐलान किया ताकि बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकें उन्होंने कहा कि रेपो रेट से ब्याज दरें भी जुड़ेंगी. रेपो रेट कम होने पर होम और कार लोन सस्ते होंगे.
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