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This Article is From Nov 24, 2023

विश्व हिंदू सम्मेलन में 'हिंदूवाद' त्यागकर 'हिंदुत्व' और 'हिंदू धर्म' शब्दों को अपनाया गया

घोषणापत्र में कहा गया कि कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अज्ञानतावश हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विपरीत के तौर पर चित्रित करते हैं.

विश्व हिंदू सम्मेलन में 'हिंदूवाद' त्यागकर 'हिंदुत्व' और 'हिंदू धर्म' शब्दों को अपनाया गया
बैंकॉक:

विश्व हिंदू सम्मेलन में सनातन धर्म को संदर्भित करने के लिए शुक्रवार को हिंदुत्व और हिंदू धर्म शब्दों को अपनाया गया. इसके साथ ही, हिंदूवाद (हिंदुइज्म) शब्द त्यागने का तर्क देते हुए कहा कि ये शब्द दमन और भेदभाव को दर्शाता है. तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) ने यहां एक घोषणापत्र को अंगीकार किया, जिसमें कहा गया कि हिंदुत्व शब्द अधिक सटीक है, क्योंकि इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं.

डब्ल्यूएचसी के विचार-विमर्श के पहले दिन के अंत में अंगीकार किए गए घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘हिंदू धर्म शब्द में पहला शब्द अर्थात् हिंदू एक असीमित शब्द है. यह उन सभी का प्रतीक है जो सनातन या शाश्वत है और फिर धर्म है, जिसका अर्थ है वह, जो कायम रखता है.''

इसमें कहा गया है कि इसके विपरीत, हिंदूवाद (हिंदुइज्म) पूरी तरह से अलग है, क्योंकि इसमें ‘इज्म' जुड़ा हुआ है, जो एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण या विश्वास के रूप में परिभाषित शब्द है.

घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘इसी वजह से हमारे कई बुजुर्गों ने हिंदूवाद की तुलना में हिंदुत्व शब्द को प्राथमिकता दी, क्योंकि हिंदुत्व अधिक सटीक शब्द है, इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं. हम उनसे सहमत हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए.''

यह घोषणापत्र ऐसे समय अपनाया गया है, जब कुछ समय पहले द्रमुक नेताओं ने ‘सनातन का उन्मूलन' विषय पर एक संगोष्ठी में सनातन धर्म के बारे में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की थीं. घोषणापत्र में कहा गया कि हिंदुत्व कोई जटिल शब्द नहीं है और इसका सीधा सा मतलब हिंदू से संबंधित है.

घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘अन्य लोगों ने विकल्प के तौर पर ‘सनातन धर्म' का उपयोग किया है, जिसे संक्षिप्त में अक्सर सनातन कहा जाता है. यहां सनातन शब्द हिंदू धर्म की शाश्वत प्रकृति को इंगित करने वाले विशेषण के रूप में काम करता है.'' घोषणापत्र में कहा गया कि कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अज्ञानतावश हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विपरीत के तौर पर चित्रित करते हैं.

इसमें कहा गया, ‘‘लेकिन अधिकांश लोग हिंदू धर्म के प्रति अपनी गहरी नफरत और पूर्वाग्रहों के कारण हिंदुत्व विरोधी हैं. राजनीतिक एजेंडे और व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रेरित कई नेता भी उस समूह में शामिल हो गए हैं और कटुता के साथ सनातन धर्म या सनातन की आलोचना कर रहे हैं.''

डब्ल्यूएचसी ने ऐसी आलोचना की निंदा की और दुनिया भर के हिंदुओं से आग्रह किया कि वे इस तरह की कट्टरता में शामिल लोगों पर काबू पाने के लिए एकजुट हों और विजयी बनें.

इससे पहले, डब्ल्यूएचसी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत दुनिया को खुशी और संतुष्टि का रास्ता दिखाएगा जो भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोगों से लड़खड़ा रही है. उन्होंने दुनिया भर के हिंदुओं से एक-दूसरे तक पहुंचने और एक साथ दुनिया से जुड़ने की अपील की.

उन्होंने दुनियाभर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा. सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे. हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.''

वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की. इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

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