नगा समझौते के वक्त एनएससीएन (आईएम) महासचिव मुइवा के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो)
भाषा:
ऐसा प्रतीत होता है कि नगा समझौते पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों ने इस संबंध में उनसे संपर्क नहीं करने को लेकर केंद्र पर हमला बोला और घोषणा की कि वे अपनी एक इंच जमीन नहीं देंगे।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि अगर मणिपुर से एक इंच भी जमीन ली गई तो हम इसका पूरा विरोध करेंगे।
केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच तीन अगस्त को समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसका मकसद पूर्वोत्तर राज्य में दशकों से जारी उग्रवाद को समाप्त करना है। एनएससीएन-आईएम की मुख्य मांग नगा आबादी वाले क्षेत्रों को मिलाकर 'वृहद नगालिम' बनाए जाने की रही है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इस मांग को स्वीकार किया गया है या नहीं। मसौदा समझौते के ब्योरे और कार्यान्वयन योजना अभी जारी नहीं किए गए हैं।
नगालैंड के पड़ोसी मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश नगा आबादी वाले क्षेत्रों को एक किए जाने के खिलाफ हैं। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनसे और अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में उनके समकक्षों से विचार विमर्श नहीं कर संसदीय लोकतंत्र तथा सहकारी संघवाद की भावना का 'पूरी तरह से उल्लंघन' किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नवाम तुकी ने कहा कि उनके लिए समझौता 'आश्चर्य' के रूप में सामने आया और प्रधानमंत्री संबंधित कांग्रेस मुख्यमंत्रियों से संपर्क करना 'भूल गए।' तुकी ने कहा कि उन्होंने शांति प्रक्रिया का स्वागत किया, लेकिन कहा कि यह 'क्षेत्रीय अखंडता के साथ बिना किसी समझौते' के होना चाहिए।
वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि तीन राज्यों की निर्वाचित सरकारों को 'अंधेरे में रखा गया' और शांति समझौते को अंतिम रूप देने या बातचीत प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया गया।
उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में तीनों मुख्यमंत्रियों और पार्टी महासचिवों वी नारायणसामी तथा सीपी जोशी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस मुद्दे पर जानबूझकर देश को गुमराह किया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि अगर मणिपुर से एक इंच भी जमीन ली गई तो हम इसका पूरा विरोध करेंगे।
केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच तीन अगस्त को समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसका मकसद पूर्वोत्तर राज्य में दशकों से जारी उग्रवाद को समाप्त करना है। एनएससीएन-आईएम की मुख्य मांग नगा आबादी वाले क्षेत्रों को मिलाकर 'वृहद नगालिम' बनाए जाने की रही है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इस मांग को स्वीकार किया गया है या नहीं। मसौदा समझौते के ब्योरे और कार्यान्वयन योजना अभी जारी नहीं किए गए हैं।
नगालैंड के पड़ोसी मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश नगा आबादी वाले क्षेत्रों को एक किए जाने के खिलाफ हैं। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनसे और अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में उनके समकक्षों से विचार विमर्श नहीं कर संसदीय लोकतंत्र तथा सहकारी संघवाद की भावना का 'पूरी तरह से उल्लंघन' किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नवाम तुकी ने कहा कि उनके लिए समझौता 'आश्चर्य' के रूप में सामने आया और प्रधानमंत्री संबंधित कांग्रेस मुख्यमंत्रियों से संपर्क करना 'भूल गए।' तुकी ने कहा कि उन्होंने शांति प्रक्रिया का स्वागत किया, लेकिन कहा कि यह 'क्षेत्रीय अखंडता के साथ बिना किसी समझौते' के होना चाहिए।
वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि तीन राज्यों की निर्वाचित सरकारों को 'अंधेरे में रखा गया' और शांति समझौते को अंतिम रूप देने या बातचीत प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया गया।
उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में तीनों मुख्यमंत्रियों और पार्टी महासचिवों वी नारायणसामी तथा सीपी जोशी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस मुद्दे पर जानबूझकर देश को गुमराह किया।
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