बाढ़ से बुरी तरह तबाह हुए जम्मू कश्मीर में सेना के बचाव अभियान में चमत्कारिक ढंग से जिंदा मिले चार दिन के इस नवजात की कहानी आशा और निराशा दोनों ही ब्यां करती है।
इस नवजात को श्रीनगर में जीबी पंत अस्पताल के सुनसान और उजाड़ बाल चिकित्सा इकाई से बचाया गया। जब दूसरे 300 बच्चों के साथ इसे बचाया गया तो डाक्टरों को इसके परिजन डॉक्टरों को कहीं नहीं मिले। आज किसी को भी नहीं पता कि इसका नाम क्या है और कोई इसे लेने आएगा भी या नहीं।
सेना के डॉक्टर ब्रिगेडियर एनएस लांबा ने एनडीटीवी से कहा, 'जब तक इस बच्चे के कोई रिश्तेदार नहीं आते तब यह यहीं रहेगा।'
फिलहाल तो यह नवजात सुरक्षित है, लेकिन अगर इसके परिवार का पता नहीं चला तो आगे क्या होगा, यह बताना बहुत मुश्किल है। जब सेना ने जीबी पंत अस्पताल में बचाव का काम शुरू किया तो सेना की प्राथमिकता पहले बच्चों को बचाना था, फिर महिलाएं और आखिर में पुरुषों को। इस वजह से सेना अभी तक ये पता नहीं लगा पाई है कि अस्पताल में पानी घुसने से कहीं बच्चे के पिता की मौत तो नहीं हो गई या फिर वह कहीं फंसे हुए और सुरक्षित हैं।
राहत की बात है कि यह मासूम बच्चा स्वस्थ है। तबाही और मौत को मात देने में यह नवजात कामयाब रहा है। लेकिन सेना जानती है कि वह बच्चे को हमेशा अपने साथ नहीं रख सकती है। तो ऐसे में इस आईसीयू में यही सवाल है कि क्या ये बच्चा कभी अपने घर जा पाएगा।
इंसानी लापरवाही की वजह से बेहद भयावह बनी इस प्राकृतिक आपदा में सबसे ज्यादा प्रभावित कश्मीर के मासूम बच्चे हुए हैं। अगर इनकी ज़िंदगी बच भी जाती है तो इस बात की आशंका बनी हुई है कि इनका सबकुछ ठीक ना हो सके..जैसे कि चार दिन का यह नवजात जो इंतज़ार कर रहा है एक ऐसे परिवार का जिसे वह अपना कह सके।
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