नेपाल के 100 रुपये के नोट पर दिए नए नक्शे पर जारी विवाद के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल (Ram Chandra Poudel)के आर्थिक सलाहकार चिरंजीवी नेपाल (Chiranjeevi Nepal)ने इस्तीफा दे दिया है.राष्ट्रपति भवन ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.उन्होंने नए नोट पर नेपाल का नया नक्शा (New Nepal Of Map) छापने के फैसले की आलोचना की थी.उन्होंने इस फैसले को बुद्धिमानी भरा नहीं बताया था.आइए जानते हैं कि आखिर नेपाल के 100 रुपये के नए नोट को लेकर विवाद क्यों हो रहा है.
नेपाल ने नए नोट पर कहा क्या था?
चिरंजीवी नेपाल, नेपाल के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर भी हैं. उनका कहना था कि भारत के नियंत्रण वाले लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को शामिल करना नासमझी भरा कदम था. उनके इस बयान पर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से बात की थी.देश के कई बुद्धिजीवियों ने नेपाल को उनके पद से हटाने की मांग की थी.
नेपाल के सौ रुपये के नए नोट पर देश का नया नक्शा लगाने फैसला चार मई को सार्वजनिक हुआ था.इसके बाद नेपाल ने कहा था,"मैं राष्ट्र बैंक के पूर्व गवर्नर के रूप में सरकार के इस कदम का विरोध करता हूं, न कि राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में." उन्होंने कहा था,"नेपाल का भारत के साथ क्षेत्र के कुछ हिस्सों को लेकर विवाद होना एक बात है,लेकिन मुद्रा में ऐसे नक्शा को छापना जो दो पड़ोसियों सहित अंतरराष्ट्रीय निकायों की ओर से मान्यता प्राप्त नक्शे से भिन्न हो,मूर्खतापूर्ण है.''
कैसा है नेपाल का नया नक्शा?
नेपाल की संसद ने संविधान संशोधन प्रस्ताव ने जून 2020 में देश के नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दी थी.नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे में लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा में दिखाया गया है.इसके बाद से सरकारी कागजात और मोहरों में नए नक्शे का इस्तेमाल हो रहा है.
वहीं भारत लिपिंयाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता है. इन तीनों इलाकों पर नेपाल अपना दावा जताता रहा है.
नए नोट पर नया नक्शा छापने के सवाल पर नेपाल सरकार का कहना था कि इस फैसले में नया कुछ नहीं है.सरकार ने इसे एक नियमित प्रक्रिया बताया था.नेपाल का कहना था कि उसके 100 रुपये के पुराने नोट खत्म होने वाले थे. पुराने नोट में पुराना नक्शा था.नेपाल की कैबिनेट ने 25 अप्रैल और दो मई को हुई को 100 रुपये के नए डिजाइन को मंजूरी दे दी.
नेपाल के नए नोट पर भारत की आपत्ति क्या है?
नेपाल सरकार के इस फैसले पर भारत ने आपत्ति जताई थी.विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि नए नोटों में दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र का नक्शा शामिल करने के नेपाल के एकतरफा फैसले का वास्तविक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमारी स्थिति बहुत साफ है. हम एक स्थापित मंच से अपनी सीमाओं के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन इस बीच, उन्होंने जो एकतरफा फैसला लिया,वह हमारे बीच की स्थिति या उस जगह की वास्तविकता को नहीं बदल सकता.
नेपाल ने कहा था कि नेपाल का संविधान केवल देश के भीतर ही लागू होता है.लेकिन नेपाली रुपये के नोट पड़ोसी देश भारत के साथ सीमा क्षेत्रों में भी चलते हैं.उन्होंने आशंका जताई थी कि 100 रुपये के नए नेपाली नोट बाजार में आने पर शायद भारत से लगती सीमा पर वे काम न करें.
भारत के 500 रुपये से कम के भारतीय नोटों को नेपाल में मान्यता मिली हुई है, लेकिन भारत ने नेपाली नोटों को मान्यता नहीं दी है.
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