
- नीदरलैंड भारतीय जेनेरिक दवाओं के आयात को बढ़ाकर अपने दवा पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहता है.
- वित्त वर्ष दो हजार पच्चीस में भारत ने नीदरलैंड को छह सौ सोलह मिलियन डॉलर की दवाइयां निर्यात कीं.
- नीदरलैंड में प्रिस्क्रिप्शन दवाओं में करीब 80% हिस्सा जेनेरिक दवाओं का होता है, जो अधिक सस्ती होती हैं.
नीदरलैंड भारतीय जेनेरिक दवाओं के आयात को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. बताया जा रहा है कि अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के मकसद से वह ऐसा करना चाहता है. साथ ही वह सप्लाई चेन में आने वाली रुकावटों को भी दूर करना चाहता है. डच सरकार के अधिकारियों और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की तरफ से यह जानकारी दी गई है. भारत, जिसे आमतौर पर 'दुनिया की फार्मेसी' कहा जाता है, ने वित्त वर्ष 2025 में नीदरलैंड को 616 मिलियन डॉलर मूल्य की दवाइयों का निर्यात किया. इससे नीदरलैंड भारत का सातवां सबसे बड़ा निर्यात बाजार बन गया.
अमेरिकी टैरिफ बड़ी चिंता
भारत का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है, जहां अब भी टैरिफ से जुड़ी चिंताएं बनी हुई हैं. भारत मुख्य तौर पर जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है, जो कि लोकप्रिय इनोवेटिव दवाओं का सस्ता वर्जन होती हैं. डच हेल्थ मिनिस्ट्री की डिप्टी यरेक्टर ऑफ फार्मास्युटिकल अफेयर्स केली वैन विंसेन ने नई दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल एग्जीबिशन में इस बारे में और ज्यादा जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'नीदरलैंड में सालाना प्रिस्क्रिप्शन में 80 फीसदी हिस्सा जेनेरिक दवाओं का है. हर पांच में से चार दवाएं जो मरीजों को दी जाती हैं, वो जेनेरिक होती हैं.' उन्होंने कहा कि नीदरलैंड में इस्तेमाल के लिए 22,000 से ज्यादा दवाओं को मंजूरी दी गई है.
क्या है नीदरलैंड्स का मकसद
इस यूरोपियन देश ने भारतीय दवा निर्माताओं को प्रोत्साहित किया है कि वो नीदरलैंड और कई तरह की थेरैपी के सेक्टर में निर्यात को बढ़ाएं. डच प्रतिनिधिमंडल ने कार्यक्रम में कहा कि देश अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहता है. इस मकसद से सिंगल सप्लायर या बहुत ज्यादा बाजार हिस्सेदारी रखने वाले सप्लायर पर निर्भरता को भी कम करना चाहता है. पिछले पांच सालों में जेनेरिक दवाओं के रजिस्ट्रेशन में 50 फीसदी की गिरावट आई है. इससे बाजार में जेनेरिक उत्पादों की संख्या घटी है. यह जानकारी नीदरलैंड की सबसे बड़ी फार्मेसी चेन में से एक बेनु (BENU) के मैनेजिंग डायरेक्टर लियोन टिंके ने दी.
क्या है दोनो देशों के बीच समझौता
भारत और नीदरलैंड के बीच मौजूदा समझौते के तहत, दोनों देश नियामक प्रक्रियाओं के बारे में सीखने के लिए निरीक्षकों को प्रशिक्षित करने में सहयोग कर रहे हैं. विंसेन ने कहा, 'भारतीय निरीक्षकों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर से नीदरलैंड में ट्रेनिंग दी जा रही है. इस साल जनवरी में ट्रेनिंग का एक दौर पूरा हो चुका है. साथ ही अब आगे और भी ट्रेनिंग कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जा रही है. उन्होंने आगे कहा, 'हम यह भी सोच रहे हैं कि कंपनियों को बेहतर जानकारी किस तरह दी जा सकती है.'
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