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This Article is From May 25, 2020

प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) और कांग्रेस पर क्यों बरस रही हैं BSP सुप्रीमो मायावती, बीते साल फरवरी में ऐसा क्या हुआ था

Maywati vs Congress : बीएसपी सुप्रीमो मायावती को इस समय कांग्रेस फूटी आंखों नहीं सुहा रही है. राजस्थान के कोटा से छात्रों के लाने के मुद्दे से लेकर यूपी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से बसें भेजे जाने तक, हर चीज पर मायावती कांग्रेस पर ही दोष मढ़ने से नहीं चूक रही हैं.

प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) और कांग्रेस पर क्यों बरस रही हैं BSP सुप्रीमो मायावती, बीते साल फरवरी में ऐसा क्या हुआ था
कांग्रेस को लेकर बीएसपी सुप्रीमो का गु्स्सा सातवें आसमान पर है.
नई दिल्ली:

आखिर क्या वजह है कि  बीएसपी सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) को इस समय कांग्रेस (Congress) फूटी आंखों नहीं सुहा रही है. राजस्थान के कोटा से छात्रों के लाने के मुद्दे से लेकर यूपी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की ओर से बसें भेजे जाने तक, हर चीज पर मायावती कांग्रेस पर ही दोष मढ़ने से नहीं चूक रही हैं. हालांकि उनके निशाने पर बीजेपी सरकार भी है. यह विपक्ष में होने के नाते उनकी एक जिम्मेदारी भी है कि सरकार को कटघरे में खड़ा करें. लेकिन कांग्रेस निशाने पर क्यों है यह चर्चा का मुद्दा है. बीएसपी को सुप्रीमो के हाल में किए गए कुछ ट्वीट पर ध्यान दें तो उन्होंने कहा, 'राजस्थान की कांग्रेसी सरकार द्वारा कोटा से करीब 12000 युवा-युवतियों को वापस उनके घर भेजने पर हुए खर्च के रूप में यूपी सरकार से 36.36 लाख रुपए और देने की जो माँग की है वह उसकी कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है। दो पड़ोसी राज्यों के बीच ऐसी घिनौनी राजनीति अति-दुखःद'. 

एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'लेकिन कांग्रेसी राजस्थान सरकार एक तरफ कोटा से यूपी के छात्रों को अपनी कुछ बसों से वापस भेजने के लिए मनमाना किराया वसूल रही है तो दूसरी तरफ अब प्रवासी मजदूरों को यूपी में उनके घर भेजने के लिए बसों की बात करके जो राजनीतिक खेल खेल कर रही है यह कितना उचित व कितना मानवीय?'

इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस की पुरानी सरकारों और अभी की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,  'बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर ना चलकर, इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों/शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर यदि अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी.'

कांग्रेस को लेकर बीएसपी प्रमुख मायावती के तेवर ऐसे ही सातवें आसमान पर नहीं है. बीते साल जब लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं तो फरवरी में कांग्रेस के हवाले से खबर आई थी जिसमें कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष नितिन राउत ने कहा, ''हम दलित समुदाय तक पहुंचने के लिए बड़े पैमाने पर जनसंपर्क, सभाएं और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे. पूरी रूपरेखा बना ली गयी है.''  हाल ही में प्रियंका को पार्टी महासचिव-प्रभारी (पूर्वी उत्तर प्रदेश) और सिंधिया को महासचिव-प्रभारी (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि हमने करीब 40 ऐसी सीटों को चिन्हित किया है जहां दलित मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से ज्यादा है. इनमें 17 आरक्षित सीटें भी शामिल हैं.'' सिंह ने कहा, ''यह गलत धारणा है सभी दलित वोट बसपा को मिलते हैं. उनके साथ आधे दलित वोटर जाते हैं, लेकिन शेष दूसरे दलों के साथ चले जाते हैं.'

उस चुनाव में यह भी कहा जा रहा था कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में लोकसभा नहीं 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही हैं. कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि दलित जो कि कभी कांग्रेस का कोर वोटर रहे हैं उनको दोबारा से अपने पाले में किया जाए. जिन पर अभी तक मायावती का एकाधिकार माना जाता रहा है. हालांकि एक समीकरण यह भी है कि मोदी लहर में सारे जातिगत समीकरण फेल भी हुए हैं. 

कांग्रेस ने फिर मायावती को कई बार हैरान भी किया

  • लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश के गुना-शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़िलाफ़ खड़े बीएसपी उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. 
  • उत्तर प्रदेश में बीएसपी के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दिकी को कांग्रेस ने बिजनौर लोकसभा सीट से उतार दिया. 
  • इसी बीच यूपी में दलित नेता के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहे भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर से प्रियंका गांधी ने मुलाकात की.
  • मध्य प्रदेश में मायावती ने कमलनाथ के दो विधायकों ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया है लेकिन उनकी मांग पर किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया. इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने मायावती के मुताबिक सीटों पर समझौता नहीं किया. 
  • राजस्थान में 6 विधायकों का कांग्रेस में शामिल कर लिए गए. मायावती उस समय काफी नाराज हुई थीं.

लेकिन अब असली वजह है उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगाए लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश लौट रहे हैं. ज्यादातर प्रवासी मजदूर उस तबके से आते हैं जो सरकार बना और गिरा सकते हैं. एक सच्चाई ये भी है कि इसमें दलितों की संख्या अच्छी-खासी है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पूरी कोशिश है कि प्रवासी मजदूरों को होने वाली दिक्कतों को मुद्दा बनाया जाए. कांग्रेस की सक्रियता अब मायावती को फूटी आंखों नहीं सुहा रही है. उनको बचे-खुशे दलित समर्थकों के भी छिटकने का खतरा दिखाई दे रहा है. माना जा रहा है यूपी विधानसभा चुनाव में प्रवासी मजदूर बड़ा मुद्दा बन सकते हैं. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी उनके रोजगार की व्यवस्था के लिए युद्ध स्तर पर जुटे हुए हैं.

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