
विशाखापट्टनम:
विशाखापट्टनम में चल रहे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासम्मेलन को लेकर राष्ट्रीय मीडिया में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। दिल्ली से यहां पहुंचे ज्यादातर पत्रकारों की दिलचस्पी सिर्फ इस बात को लेकर है कि पार्टी का अगला महासचिव कौन होगा?
पार्टी के सांसद और चित-परिचित चेहरा सीताराम येचुरी विशाखापट्टनम में सुबह की सैर से लेकर रात के डिनर तक लगातार बंगाल और केरल के नेताओं से मिल रहे हैं। येचुरी उन दो नेताओं में हैं, जिन्हें पार्टी महासचिव पद के लिए दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। उनके अलावा महासचिव पद के लिए दूसरी दावेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई की है।
जहां येचुरी सबके बीच घुलने मिलने वाले और उदार सोच वाले बहिर्मुखी नेता माने जाते हैं, वहीं पिल्लई एक शांत स्वभाव के पर्दे के पीछे रहने वाले कट्टर कम्युनिस्ट नेता हैं। आंध्र प्रदेश के येचुरी अर्थशास्त्र के माहिर और गठजोड़ की राजनीति के पंडित हैं तो पिल्लई की ताकत संगठनात्मक कौशल है। दिलचस्प बात यह भी है कि येचुरी और पिल्लई की उम्र में 15 साल का फासला है।
पार्टी कांग्रेस में हिस्सा ले रहे कई डेलिगेट 62 साल के येचुरी को 77 साल के पिल्लई के मुकाबले अधिक काबिल मानते हैं, लेकिन यह बात भी महत्वपूर्ण है कि सीताराम येचुरी और एसआर पिल्लई पार्टी की पोलित ब्यूरो में मौजूदा महासचिव प्रकाश करात के साथ ही शामिल हुए। करात और येचुरी शुरुआती दिनों से काफी करीब रहे और उनके बीच रिश्ते काफी मधुर थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच तनाव बढ़ा है।
प्रकाश करात 2005 में पार्टी के महासचिव बने। उसके बाद उन्होंने संगठन की सारी जिम्मेदारी पिल्लई पर डाल दी और येचुरी को राज्यसभा में सांसद बनाया गया। परमाणु करार पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने से लेकर पार्टी के दिग्गज और पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को हटाने तक कई मामलों में प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच टकराव रहा। इसी साल जनवरी में पार्टी की रणनीति को लेकर सीताराम और प्रकाश करात के बीच मतभेद खुलकर सामने आए और सीताराम येचुरी ने अपना अलग ड्राफ्ट सेंट्रल कमेटी में चर्चा के लिए दिया। येचुरी पार्टी के घटते जनाधार और एक के बाद एक चुनावी हार के लिए पिछले 10 साल में नीतियों को ठीक से लागू न होने को जिम्मेदार मानते हैं यानी उनके निशाने पर करात हैं, जबकि करात और उनके करीब सामूहिक ज़िम्मेदारी की बात करते हैं।
इस वक्त महासचिव पद के लिए सीताराम येचुरी को बंगाल के कॉमरेड समर्थन कर रहे हैं, लेकिन केरल और देश के बाकी हिस्सों के प्रतिनिधि क्या करेंगे ये साफ नहीं है। केरल के दिग्गज नेता पिनाराई विजयन का गुट प्रकाश करात के साथ है। करात की पार्टी पर अच्छी पकड़ है और वह पिल्लई के पक्ष में बताए जा रहे हैं। यानी विजयन का गुट सीताराम येचुरी के खिलाफ और पिल्लई के पक्ष में दिखता है, लेकिन केरल के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन भी इस पूरी बैठक में काफी सक्रिय हैं। अच्युतानंदन पिनाराई विजयन के कट्टर विरोधी हैं यानी जो भी लोग अच्युतानंदन के साथ होंगे, उनके पिल्लई के पक्ष में जाने की संभावना कम ही है।
पार्टी के सांसद और चित-परिचित चेहरा सीताराम येचुरी विशाखापट्टनम में सुबह की सैर से लेकर रात के डिनर तक लगातार बंगाल और केरल के नेताओं से मिल रहे हैं। येचुरी उन दो नेताओं में हैं, जिन्हें पार्टी महासचिव पद के लिए दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। उनके अलावा महासचिव पद के लिए दूसरी दावेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई की है।
जहां येचुरी सबके बीच घुलने मिलने वाले और उदार सोच वाले बहिर्मुखी नेता माने जाते हैं, वहीं पिल्लई एक शांत स्वभाव के पर्दे के पीछे रहने वाले कट्टर कम्युनिस्ट नेता हैं। आंध्र प्रदेश के येचुरी अर्थशास्त्र के माहिर और गठजोड़ की राजनीति के पंडित हैं तो पिल्लई की ताकत संगठनात्मक कौशल है। दिलचस्प बात यह भी है कि येचुरी और पिल्लई की उम्र में 15 साल का फासला है।
पार्टी कांग्रेस में हिस्सा ले रहे कई डेलिगेट 62 साल के येचुरी को 77 साल के पिल्लई के मुकाबले अधिक काबिल मानते हैं, लेकिन यह बात भी महत्वपूर्ण है कि सीताराम येचुरी और एसआर पिल्लई पार्टी की पोलित ब्यूरो में मौजूदा महासचिव प्रकाश करात के साथ ही शामिल हुए। करात और येचुरी शुरुआती दिनों से काफी करीब रहे और उनके बीच रिश्ते काफी मधुर थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच तनाव बढ़ा है।
प्रकाश करात 2005 में पार्टी के महासचिव बने। उसके बाद उन्होंने संगठन की सारी जिम्मेदारी पिल्लई पर डाल दी और येचुरी को राज्यसभा में सांसद बनाया गया। परमाणु करार पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने से लेकर पार्टी के दिग्गज और पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को हटाने तक कई मामलों में प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच टकराव रहा। इसी साल जनवरी में पार्टी की रणनीति को लेकर सीताराम और प्रकाश करात के बीच मतभेद खुलकर सामने आए और सीताराम येचुरी ने अपना अलग ड्राफ्ट सेंट्रल कमेटी में चर्चा के लिए दिया। येचुरी पार्टी के घटते जनाधार और एक के बाद एक चुनावी हार के लिए पिछले 10 साल में नीतियों को ठीक से लागू न होने को जिम्मेदार मानते हैं यानी उनके निशाने पर करात हैं, जबकि करात और उनके करीब सामूहिक ज़िम्मेदारी की बात करते हैं।
इस वक्त महासचिव पद के लिए सीताराम येचुरी को बंगाल के कॉमरेड समर्थन कर रहे हैं, लेकिन केरल और देश के बाकी हिस्सों के प्रतिनिधि क्या करेंगे ये साफ नहीं है। केरल के दिग्गज नेता पिनाराई विजयन का गुट प्रकाश करात के साथ है। करात की पार्टी पर अच्छी पकड़ है और वह पिल्लई के पक्ष में बताए जा रहे हैं। यानी विजयन का गुट सीताराम येचुरी के खिलाफ और पिल्लई के पक्ष में दिखता है, लेकिन केरल के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन भी इस पूरी बैठक में काफी सक्रिय हैं। अच्युतानंदन पिनाराई विजयन के कट्टर विरोधी हैं यानी जो भी लोग अच्युतानंदन के साथ होंगे, उनके पिल्लई के पक्ष में जाने की संभावना कम ही है।
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