विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड की वजह से भारत में 47 लाख मौत होने की बात कही है लेकिन देश के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने WHO की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं. देश में कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख डॉ. एन के अरोड़ा ने आज रिपोर्ट को 'चिंताजनक' बताते हुए कहा कि 47 लाख मौत के आंकड़े के पीछे कोई तर्क या तथ्य नहीं दिखता.
आज सुबह NDTV से बात करते हुए डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि 15-20% विसंगति हो सकती है, लेकिन भारत की मजबूत और सटीक मृत्यु पंजीकरण प्रणाली (जिसे नागरिक पंजीकरण प्रणाली या CRS के रूप में जाना जाता है) ने यह सुनिश्चित किया है कि वायरस से संबंधित अधिकांश मौतों को कवर किया जाय.
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अरोड़ा ने कहा, "CRS द्वारा 2018 में, 2017 के मुकाबले 5 लाख अतिरिक्त मौतें दर्ज की गईं. 2019 में, 2018 के मुकाबले 7 लाख अधिक मौतें थीं. 2020 में 2019 के मुकाबले 5 लाख मौतें थीं. इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में कोविड की मौतों के कवरेज में सुधार हो रहा है. अब हम सभी अपेक्षित मौतों में से 98-99% को सीआरएस द्वारा कवर कर रहे हैं. सीआरएस की एक बहुत मजबूत प्रणाली है. वर्षों से इसकी प्रणाली में सुधार हुआ है."
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रिपोर्ट को "बेतुका और अपुष्ट बताते हुए, अरोड़ा ने कहा, "2018 में, लगभग 85-88 प्रतिशत मौतों को कवर किया गया था. 2020 में, 98-99 प्रतिशत मौतों को कवर किया गया था. 2018 और 2019 में सात लाख मौतें और हुईं. क्या हम कहते हैं कि सभी कोविड थे? 4.6 लाख में से 1.45 लाख मौत की सूचना मिली थी, इनमें से तीन लाख मौतें अन्य कारणों से हुईं. भले ही हम कहें कि 4 लाख से ज्यादा मौतें हुईं, फिर भी यह डब्ल्यूएचओ के अनुमानों में फिट नहीं बैठता है."
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