फाइल फोटो
18 मई को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने पाकिस्तान की जेल में कैद कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है. आईसीजे ने कहा कि किसी भी देश को उसके नागरिक से मिलने से नहीं रोका जा सकता. इस फैसले को भारत की बड़ी जीत और पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है. गौरतलब है कि कुलभूषण सुधीर जाधव को पाकिस्तान ने रॉ का एजेंट बताते हुए उन पर जासूसी का अारोप लगाते हुए फांसी की सजा सुनाई है. पाकिस्तान का दावा है कि उसने रॉ की जासूसी के आरोप में कुलभूषण(46) को बलूचिस्तान से पकड़ा था. हालांकि उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका तालिबान ने अपहरण कर पिछले मार्च में पाकिस्तान को बेच दिया था. भारत सरकार ने माना है कि वह पूर्व नौसेना अधिकारी थे और 14 साल सेवा में गुजारने के बाद समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. वह 2003 में रिटायर हो गए थे. हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि जाधव अभी भी भारतीय नौसेना के अधिकारी हैं और उनको 2022 में रिटायर होना था.
नेवी अधिकारी
1987 में कुलभूषण जाधव नेशनल डिफेंस अकादमी(एनडीए) का हिस्सा बने और 1991 में भारतीय नौसेना की इंजीनियरिंग ब्रांच से कमीशन प्राप्त किया. रिटायर होने के बाद उन्होंने ईरान के चाबहार पोर्ट पर बिजनेस शुरू किया. जाधव मूल रूप से महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं. जब उनको बलूचिस्तान से पकड़ा गया तो उनके पास से हुसैन मुबारक पटेल के नाम से पासपोर्ट पाया गया. हालांकि गिरफ्तारी के बाद से जाधव के परिवार ने मीडिया से बातचीत करने से मना कर दिया. इसलिए उनकी जिंदगी से जुड़े ज्यादातर पहलू उजागर नहीं हो सके हैं. हालांकि ऐसा माना जाता है कि 2003 में हुसैन मुबारक पटेल के नाम से उन्होंने पुणे से पासपोर्ट प्राप्त किया था. उनके पास से जो पासपोर्ट मिला था, उसमें पुणे की एक हाउसिंग सोसायटी का पता दिया गया था लेकिन वह पता अधूरा पाया गया. इस सोसायटी के लोगों का कहना है कि उनको इस नाम से किसी आदमी के बारे में न ही पता है और न ही उन्होंने कभी जाधव को देखा.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में कुलभूषण पर पाकिस्तान आर्मी कानून के तहत मुक़दमा चलाया गया. पाकिस्तान लगातार ये दावा कर रहा है कि वो रॉ के एजेंट हैं. हालांकि भारत पहले ही साफ़ कर चुका है कि कुलभूषण रॉ एजेंट नहीं हैं. भारत ने कहा था कि वो नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं, लेकिन वो किसी भी रूप में सरकार से नहीं जुड़े हुए हैं. पाकिस्तान ने आरोप लगाए कि जाधव पाकिस्तान को अस्थिर करना और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहते थे. कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को ईरान से पाक में अवैध घुसपैठ के चलते गिरफ़्तार किया गया था.
नेवी अधिकारी
1987 में कुलभूषण जाधव नेशनल डिफेंस अकादमी(एनडीए) का हिस्सा बने और 1991 में भारतीय नौसेना की इंजीनियरिंग ब्रांच से कमीशन प्राप्त किया. रिटायर होने के बाद उन्होंने ईरान के चाबहार पोर्ट पर बिजनेस शुरू किया. जाधव मूल रूप से महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं. जब उनको बलूचिस्तान से पकड़ा गया तो उनके पास से हुसैन मुबारक पटेल के नाम से पासपोर्ट पाया गया. हालांकि गिरफ्तारी के बाद से जाधव के परिवार ने मीडिया से बातचीत करने से मना कर दिया. इसलिए उनकी जिंदगी से जुड़े ज्यादातर पहलू उजागर नहीं हो सके हैं. हालांकि ऐसा माना जाता है कि 2003 में हुसैन मुबारक पटेल के नाम से उन्होंने पुणे से पासपोर्ट प्राप्त किया था. उनके पास से जो पासपोर्ट मिला था, उसमें पुणे की एक हाउसिंग सोसायटी का पता दिया गया था लेकिन वह पता अधूरा पाया गया. इस सोसायटी के लोगों का कहना है कि उनको इस नाम से किसी आदमी के बारे में न ही पता है और न ही उन्होंने कभी जाधव को देखा.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में कुलभूषण पर पाकिस्तान आर्मी कानून के तहत मुक़दमा चलाया गया. पाकिस्तान लगातार ये दावा कर रहा है कि वो रॉ के एजेंट हैं. हालांकि भारत पहले ही साफ़ कर चुका है कि कुलभूषण रॉ एजेंट नहीं हैं. भारत ने कहा था कि वो नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं, लेकिन वो किसी भी रूप में सरकार से नहीं जुड़े हुए हैं. पाकिस्तान ने आरोप लगाए कि जाधव पाकिस्तान को अस्थिर करना और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहते थे. कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को ईरान से पाक में अवैध घुसपैठ के चलते गिरफ़्तार किया गया था.
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