दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली नगर निगम (MCD) में अब 10 एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया है कि एलजी अपने मन-मुताबिक एमसीडी में 10 अधिकारियों की नियुक्ति कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें निर्वाचित सरकार से सलाह और सहायता लेने की जरूतर नहीं है. एमसीडी में एल्डरमैन नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सम्मानपूर्वक असहमति जताते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका है. आखिर, एल्डरमैन पर एलजी और आप में ये जंग क्यों छिड़ी है? क्या होती हैं एल्डरमैन की पावर? सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एमसीडी में क्या कोई बदलाव होगा?
एल्डरमैन को चुनना LG की वैधानिक शक्ति
2023 में एल्डरमैन को लेकर उपराज्यपाल और आप सरकार आमने-सामने आ गए थे, जब एलजी ने 10 एल्डरमैन की नियुक्ति कर दी थी. इसके बाद आप सरकार इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. आम आदमी पार्टी ने दलील दी थी कि एल्डरमैन की नियुक्ति के लिए एलजी को निर्वाचित सरकार की सलाह लेनी चाहिए, इस तरह वह एल्डरमैन की नियुक्ति नहीं कर सकते हैं. वहीं, एलजी की ओर से कहा गया कि डीएमसी एक्ट इसकी इजाजत देता है कि वह एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं. ये एक्ट 1993 में बना था. एलजी की वैधानिक शक्ति है. कोई एक्जीक्यूटिव पावर नहीं है. जो डीएमसी एक्ट से एलजी को मिलती है.
कौन होते हैं एल्डरमैन?
दिल्ली में 10 पार्षद मनोनीत होते हैं, जिन्हें एल्डरमैन कहा जाता है. पिछले कुछ सालों में आम तौर पर देखा गया कि एल्डरमैन को मनोनीत तो उपराज्यपाल ही करते हैं, लेकिन इन नामों की सलाह निर्वाचित सरकार द्वारा दी जाती रही है. लेकिन जनवरी 2023 में उपराज्यपाल ने बिना सरकार की सलाह लिये 10 एल्डरमैन की नियुक्ति कर दी. इसके बाद ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. दरअसल, जब एलजी ने 10 एल्डरमैन को मनोनीत किया था, उससे आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ था. ये 10 एल्डरमैन कुछ खास जोन में नामित हुए थे, इसका परिणाम ये हुआ था कि जहां आम आदमी पार्टी पहले 8 जोन में आगे चल रही थी, वो सिर्फ 6 जोन में आगे रही. वहीं, बीजेपी पहले 4 जोन में आगे चल रही थी, वो अब 5 जोन में आगे चल रही है और एक जोन में मुकाबला बराबरी पर है. ऐसे में मनोनीत एल्डरमैन से बीजेपी को सीधे-सीधे फायदा पहुंचा.
क्या होती है एल्डरमैन की पावर?
एल्डरमैन स्टेंडिंग कमिटी के सदस्य बनने होते हैं. अगर आम आदमी पार्टी स्टेंडिंग कमिटी में अपनी बढ़त नहीं बना पाई, तो वो चुनाव जीतकर भी हारने की स्थिति में आ जाएगी. क्योंकि कई अहम फैसले सरकार नहीं ले पाएगी. बता दें कि एल्डरमैन को मेयर के चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं होता है. हालांकि, वार्ड समिति के सदस्यों के रूप में एल्डमैन के पास एमसीडी के 12 जोन में से प्रत्येक के लिए एक प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डालने की पावर होती है. यदि मतदान अधिकारों से जुड़े प्रतिबंधों को छोड़ दिया जाए, तो एक एल्डरमैन की भूमिका एक पार्षद के समान होती है.
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