
- अमला चाय के अखिल पटेल ने प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश पीएम स्टार्मर को लंदन में चाय पिलाई थी.
- अखिल पटेल LSE में पढ़े हैं. लद्दाख की यात्रा के दौरान आइडिया आने पर उन्होंने लंदन में चाय कंपनी खोली.
- भारत के चर्चित चाय वालों में नितिन सलूजा, डॉली चाय वाला, एमबीए चाय वाला, अनुभव दुबे, नवनाथ येवले शामिल हैं.
एक आइडिया किस तरह जिंदगी बदल सकता है. इसकी नई नजीर बने हैं अखिल पटेल. ब्रिटेन के प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकनोमिक्स (LSE) में पढ़े-लिखे अखिल डेटा एनालिस्ट की अच्छी खासी नौकरी करते थे. 2018 में वह भारत के लद्दाख घूमने आए. हिमालय की वादियों में घूमते समय उन्होंने एक जगह चाय पी. चाय की चुस्कियां लेते हुए उन्हें आइडिया आया कि क्यों न लंदन में भी मसाला चाय का बिजनेस शुरू किया जाए. बस, अगले ही साल उन्होंने एक चाय कंपनी खोल ली. नाम रखा- अमला चाय. अब अखिल पटेल ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर के आवास पर पीएम मोदी को चाय पिलाकर सुर्खियों में छाए हुए हैं. खुद पीएम मोदी ने उनकी तस्वीर शेयर की है.
प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश पीएम स्टार्मर मुक्त व्यापार संधि को अमलीजामा पहनाने के बाद अखिल की चाय की स्टॉल पर पहुंचे थे. ये स्टॉल पीएम स्टार्मर के आवास चेकर्स में खासतौर से लगाई थी. प्रधानमंत्री मोदी को मसाला चाय से भरा कप थमाते हुए अखिल बोले- एक चाय वाला दूसरे चाय वाले को चाय पिला रहा है. अखिल की इस बात पर पीएम मोदी और स्टार्मर ने भी ठहाका लगाया.
असम की चायपत्ती, केरल के मसाले, लंदन में स्वाद
'अमला चाय' कंपनी के मालिक अखिल ने बताया कि वह चाय की पत्तियां भारत के असम से और चाय मसाले का सामान केरल से मंगवाते हैं. इस पर पीएम मोदी ने स्टार्मर से कहा कि इस चाय में भारत का स्वाद है. बाद में पीएम मोदी ने इसकी तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कीं और लिखा- पीएम कीर स्टार्मर के साथ चेकर्स में 'चाय पे चर्चा'…भारत-यूके संबंधों को मजबूत करते हुए!. इसके बाद अखिल पटेल सोशल मीडिया पर छा गए.
लद्दाख में चाय पीते हुए आया था आइडिया
अखिल और अमला चाय की कहानी की शुरुआत भारत के लद्दाख में हुई थी. हिमालय की वादियों में चाय पीने के बाद जब उन्होंने वापस लंदन जाकर असली मसाला चाय की तलाश की, तो निराशा ही हाथ लगी. वह खुद बताते हैं कि लंदन में चाय के नाम पर तब मीठा घोल ही पिलाया जाता था. यह वो चाय नहीं थी, जिसे अपने घर में पीकर वह बड़े हुए थे.

Photo साभार AmalaChai.com
LSE में पढ़े अखिल ने छोटे से स्टॉल से की शुरुआत
बस फिर क्या था, उन्होंने लंदन की ब्रिक लेन पर चाय का छोटा सा स्टॉल खोलने का फैसला कर लिया. यहां पर दादी मां के बरसों पुराने नुस्खे को अपनाकर भारतीय असली मसालों से चाय बनाने लगे. आइडिया काम कर गया, और इस तरह बनी अमला चाय कंपनी. अखिल पटेल की कंपनी अब चाय पिलाती भी है और बेचती भी है. अलग-अलग पांच जगहों पर उनकी अमला चाय के काउंटर हैं.
कौन हैं अखिल पटेल?
- गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाले अखिल पटेल का जन्म ग्रेटर लंदन में हुआ है.
- अखिल की दादी जो अब 96 साल की हैं, करीब 50 साल पहले भारत से यूके आकर बस गई थीं.
- अखिल पटेल की स्कूली पढ़ाई हैम्पस्टीड के यूनिवर्सिटी कॉलेज स्कूल से हुई है.
- उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकनोमिक्स (LSE) से मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया.
- लिंक्डइन के मुताबिक, अखिल ने क्लाउड फैक्ट्री में डेटा एनालिस्ट इंटर्न के रूप में काम किया है.
- कई और भी जगह छोटी-छोटी नौकरियां करके अनुभव लिया. इनमें मुंबई की कंपनी भी थी.
- रेवेन्यू मैनजमेंट सॉल्यूशंस में करीब एक साल तक बिजनेस एंड डेटा एनालिस्ट की नौकरी की.
- 2019 में लंदन में एक छोटे से स्टॉल से शुरुआत करके अमला चाय कंपनी खोली.
- अखिल और उनकी दादी को ब्रिटिश म्यूजियम ने अपने इंस्टाग्राम पेज के कवर पर भी लगाया था.
- अब प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश पीएम स्टार्मर को चाय पिलाकर चर्चित हो गए हैं.
ये हैं भारत के सबसे चर्चित चाय वाले
नितिन सलूजा (Chaayos)
दिल्ली में पैदा हुए नितिन सलूजा आईआईटी बॉम्बे से पढ़े मैकेनिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने अमेरिका में पांच साल तक मैनेजमेंट कंसलटेंट की नौकरी भी की. लेकिन शुरू से ही उद्यमी बनने का ख्वाब था. नवंबर 2012 में क्लासमेट राघव वर्मा के साथ मिलकर नितिन ने गुरुग्राम में पहला चायोस कैफे शुरु किया. अब उनके 200 से ज्यादा आउटलेट्स हैं. चायोस की नेट वर्थ 2000 करोड़ से ज्यादा की बताई जाती है.

अनुभव दुबे (चाय सुट्टा बार)
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में 1996 में जन्मे अनुभव दुबे आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन एग्जाम क्रैक नहीं कर पाए. पिताजी उन्हें यूपीएससी पास करके आईएएस बनाना चाहते थे, लेकिन अनुभव दुबे उसमें भी नाकाम रहे. उसके बाद बीकॉम ग्रेजुएट दोस्त आनंद नायक के साथ मिलकर तीन लाख रुपये का जुगाड़ किया और 2016 में इंदौर के गर्ल्स हॉस्टल के बाहर चाय सुट्टा बार खोला. बिजनेस चमका तो देशभर में 250 से ज्यादा कैफे खोल दिए. इस वक्त उनके ब्रांड का सालाना टर्नओवर 150 करोड़ रुपये से ज्यादा बताया जाता है.

प्रफुल्ल बिल्लौर (एमबीए चाय वाला)
मध्य प्रदेश के एक किसान के बेटे प्रफुल्ल बिल्लौर एमबीए करना चाहते थे. तीन प्रयासों के बाद भी कैट का एग्जाम पास नहीं कर पाए तो कुछ अलग सोचना शुरू किया. अहमदाबाद में मैक्डॉनल्ड में डिलीवरी बॉय की नौकरी की. वहां उन्हें एक घंटे के करीब 37 रुपये मिलते थे. कुछ समय बाद प्रमोशन मिला तो वेटर बन गए. उसी दौरान चाय का स्टॉल लगाने का आइडिया आया. 2017 में महज 8 हजार रुपये लगाकर चाय का ठेला लगा लिया. नाम रखा- MBA Chai Wala. MBA मतलब मिस्टर बिल्लौर अहमदाबाद. सुबह 9 से शाम 6 बजे तक मैक्डॉनल्ड में जॉब कर थे, उसके बाद शाम 7 से रात 11 बजे तक हाथ ठेले पर चाय बेचते थे. चाय बेचने के लिए लोगों से अंग्रेजी में बात करते थे. बस इसी चीज ने उन्हें फेमस कर दिया. महज 26 साल की उम्र में चाय बेचकर करोड़पति बन गए. अब उनके देश-विदेश में 200 से ज्यादा कैफे हैं. 2023 में उनकी कंपनी की अनुमानित नेट वर्थ करीब 250 करोड़ बताई जाती थी.

सुनील पाटिल (डॉली चाय वाला)
डॉली चाय वाला का असली नाम सुनील पाटिल है. 1998 में सामान्य परिवार में जन्मे डॉली ने परिवार की मदद करने के लिए बचपन में ही चाय बेचना शुरू कर दिया था. लोगों की नजरों में उस वक्त आए, जब माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने उनकी टपरी पर चाय पी थी. अनोखे तरीके से चाय परोसने से लेकर अब वह अपने स्टाइलिश लुक की वजह से देश-विदेश में छाए रहते हैं. इंस्टाग्राम पर चार मिलियन,यूट्यूब पर 2 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. अब वह ब्रांड एंडोर्समेंट, डिजिटल रेवेन्यू और पेड अपीयरेंस से खूब कमाते हैं. कुछ रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि वह एक अपीयरेंस के लिए पांच लाख रुपये तक लेते हैं. हाल ही में उन्होंने डॉली की टपरी नाम से फ्रेंचाइजी खोली है. साढ़े चार लाख ले लेकर 43 लाख रुपये तक की उनकी फ्रेंचाइजी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले 48 घंटे में ही 1600 से ज्यादा लोगों ने उसके लिए आवेदन कर दिया.

नवनाथ येवले (Yewle Tea house)
नवनाथ येवले के पिता दशरथ येवले ने 1983 में पुणे में आकर दूध बेचना शुरू किया था. बाद में पुणे के कैंप डिस्ट्रिक्ट में एक दुकान किराए पर खरीदी. यहां चाय बेचना शुरू किया. बिजनेस बढ़ा तो एक और दुकान खोल ली. 2001 में दशरथ का निधन हो गया. नवनाथ ने चार भाइयों के साथ मिलकर 2011 में पुणे के भारती विद्यापीठ के बाहर येवले टी हाउस खोला. 2018 में दगड़ूसेठ गणपति मंदिर के पास पहला ब्रांडेड आउटलेट कैफे खोला. बाद में एक वायरल वीडियो से लोकप्रियता मिली. अब 11 शहरों में करीब 550 से ज्यादा फ्रेंचाइजी आउटलेट्स हैं. 10 रुपये की एक कप चाय बेचकर साल में 50 करोड़ से ज्यादा कमा रहे हैं.

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