- हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के सीएमडी डीके सुनील ने तेजस एमके 1 के अपग्रेड और उसकी खूबियों की जानकारी दी.
- तेजस एमके 1 की उत्पादन क्षमता सालाना 24 विमान तक पहुंच गई है, जिसमें प्राइवेट पार्टनर्स का योगदान भी शामिल है.
- यह विमान 4.5 जनरेशन का हल्का और छोटा मल्टी रोल लड़ाकू विमान है, जिसमें आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट लगा है.
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सीएमडी डीके सुनील ने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बात की और तेजस एमके 1 (Tejas MK 1) की खूबियों से परिचित कराया. इसके साथ ही उन्होंने पुराने तेजस और इस अपग्रेडेड तेजस एमके 1 के अंतर को भी समझाया. राफेल की तरह 4.5 जेनरेशन वाले तेजस एमके 1 के लिए भारतीय वायुसेना काफी लंबे समय से इंतजार में है. उसने 180 नये विमानों का ऑर्डर भी एचएएल को दिया हुआ है. डीके सुनील ने इस इंटरव्यू में ये भी बताया कि सभी 180 विमान कब तक वायुसेना को मिल जाएंगे.
तेजस एमके 1 की कब चलेगी टेस्टिंग

डीके सुनील ने बताया कि तेजस MK 1 की पहली उड़ान रक्षा मंत्री के सामने हुई. आज तीसरा असेंबल लाइन बनकर तैयार है. अब हमारी कैपेसिटी 24 एयरक्राफ्ट हर साल बनाकर देने की हो गई है, क्योंकि हमारे पास तीन लाइन हैं. प्राइवेट पार्टनर्स आने से ये काम और भी आसान हो गया है. कोई एयरक्राफ्ट का विंग बनाकर देता है, कोई टेल देता है या सेंटर फ्यूजलेज देता है तो हमारी जो कैपेबिलिटी या कैपेसिटी है, वो बहुत बढ़ चुकी है. अब हमें डिलीवरी करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.
तेजस एमके 1 में खूबियां ही खूबियां
- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्को 1A दुनिया का सबसे हल्का और छोटा लड़ाकू विमान है.
- यह अपनी कैटेगरी का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान भी कहा जाता है.
- अगर इसकी वजन की बात करें तो इसका वजन है 6.5 टन और उतना ही करीब 6 टन वेपन कैरी कर सकता है.
- इसमें मिसाइल लगाए जा सकते हैं.
- बॉम्ब लगाया जा सकता है.
- पुराने तेजस से यह कई मामलों में अलग है.
- इसका बियोंड विजुअल रेंज करीब 100 किलोमीटर से ज्यादा का है.
- यानी जिसे आप आसानी से देख नहीं पाते हैं, उसको भी यह टारगेट कर सकता है.
- इसमें इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट लगे हुए हैं.
- तेजस एमके 1 खास तरह के जैमर लगे हुए हैं.
- इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि अगर आसपास कोई दूसरे एयरक्राफ्ट आते हैं तो उसके इलेक्ट्रिक सूट को ये पूरी तरह से जाम कर सकता है.
- यानी दूसरा एयरक्राफ्ट अगर सिल्ट भी होगा तो उसे ट्रैक किया जा सकता है.
- इसकी लंबाई 13.2 मीटर है.
- चौड़ाई 8.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है.
- इसके कॉम्बैट रेंज की बात करेंगे तो 700 कि.मी. से कहीं ज्यादा है.
- जो पुराना तेजस है, उसकी रेंज करीब 500 कि.मी. है.
- तेजस एमके 1 के तकरीबन 62 से 65% कलपुर्जे देश में बने हुए हैं.
- यानी कल की तारीख में अगर इस जहाज में कोई भी बदलाव करना होगा तो इसके लिए हमें किसी और का मुंह ताकने की जरूरत नहीं है.
- हम खुद ही बदल सकते हैं. किसी से इजाजत लेने की भी जरूरत नहीं है.
- हालांकि इसका इंजन अमेरिका से अभी मंगाया जा रहा है.
- इसकी रफ्तार 2000 कि.मी. प्रति घंटा है.
- इसमें आइसा रडार लगा हुआ है. आइसा रडार एक साथ कई सारे लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है.
- सबसे बड़ी बात यह है कि यह हर मौसम में फ्लाई कर सकता है.
- चाहे किसी भी तरह का मौसम हो और कोई भी इलाका हो चाहे डेजर्ट की बात करें या चाहे पहाड़ी.
- तकरीबन 40000 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर यह फ्लाई कर सकता है.
वायुसेना को कब तक मिलेंगे 180 तेजस एमके 1

तेजस एमके 1 की खूबियों के बारे में डीके सुनील ने बताया कि ये मल्टी रोल फाइटर है. इसमें शॉर्ट रेंज मिसाइल, लॉन्ग रेंज मिसाइल, बॉम्ब्स लगाने के लिए कई हार्ड पॉइंट्स हैं. इसमें बियोंड विजुअल रेंज (बीवीआर) है. इसमें आइसा राडार है, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट है, अस्त्र मिसाइल लगे हैं, बहुत अच्छी फ्लाई वायर तकनीक है. इसकी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर कैपेबिलिटी बहुत ही अच्छी है. इसमें 62% तक कंपोनेंट देश में बने हैं.यह 4.5 जनरेशन का एयरक्राफ्ट है और इस कैटेगरी के दुनिया के किसी भी एयरक्राफ्ट से ये कम नहीं है. इसका कॉकपिट बहुत आधुनिक है. अभी तेजस एमके 1 का वेपन ट्रायल्स बाकी है. वेपन इंटीग्रेशन हो चुका है. टेस्टिंग और फाइन ट्यूनिंग अगले महीनों में हो जाएगी. मतलब एलसीए MK-1 A का सारा टेस्टिंग पूरा हो जाएगा. तब हम डिलीवरी के लिए तैयार रहेंगे. भारतीय वायुसेना ने 83 और 97 के दो ऑर्डर तेजस एमके 1 के दिए हैं. हम 2032-2033 तक पूरे 180 एयरक्राफ्ट डिलीवर कर देंगे. ये जो एयरक्राफ्ट होगा, वो हमारे आज के सभी चैलेंजों को मीट करने में पूरी तरह सक्षम होगा.
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