मशहूर शायर साहिर लुधियानवी का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
अपने दौर के दो मशहूर शायर साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की प्रेम कहानी के यूं तो कई किस्से हैं, लेकिन उनमें से कुछ को सैफ हैदर हसन ने अपने नाटक ‘एक मुलाकात’ में बुना है और उसमें काल्पनिक संवादों को जोड़कर उसे एक नई कहानी के रूप में प्रस्तुत किया है।
डेढ़ घंटे के इस नाटक का साहित्यिक वजूद भी है, क्योंकि इसमें साहिर और अमृता की मूल नज्मों को भी पिरोया गया है। यह नाटक इन दोनों की प्रेम कहानी के विशेष किस्सों को बयां करता है और शेखर सुमन एवं दीप्ति नवल जैसे कलाकार दिल्ली की एक सर्द रात में दोनों के बीच के वार्तालाप को मंच पर सजीव करते हैं।
दिल्ली में यह नाटक हाल ही में पहली बार प्रदर्शित हुआ। नाटक के बारे में बात करते हुए शेखर ने कहा कि ‘एक मुलाकात’ की सबसे खास बात है कि इसमें दोनों शायरों के वास्तविकता को उनके किरदार को दर्शाते वक्त बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा, 'साहिर कोई इंसान नहीं बल्कि एक भावना हैं। जब आप किसी की नज्म या शेरो-शायरी से जुड़ते हैं तो आप उसे क्यों पसंद करते हैं? क्योंकि कहीं न कहीं कोई है जो आपके लिए कुछ कह रहा है, आप उसे अपने विचारों के तौर पर ही महसूस करते हैं।'
उन्होंंने कहा कि साहिर साहब का हर बात को लेकर एक अलहदा अंदाज था। वे बिल्कुल बेफिक्र इंसान थे। वे एक यायावर, एक प्रगतिशील, एक विद्रोही कवि थे। उनका बचपन, उनकी जिंदगी और उनकी प्रेम कहानियां सब कुछ बिलकुल अलग था। वे कभी भी किसी को भी अपनी रचनाओं में एक शब्द का भी बदलाव करने की अनुमति नहीं देते थे, यहां तक कि फिल्मों में भी। शेखर ने कहा कि उन्हें दुख है कि वे उनसे हकीकत में नहीं मिल पाए।
दीप्ति के लिए भी साहिर और अमृता के बीच का प्यार एक साधारण प्रेम कहानी से आगे जाकर एक 'वचनबद्धता' से बंधे व्यक्ति और एक 'भावपूर्ण' महिला के बीच प्यार की दास्तां है।
डेढ़ घंटे के इस नाटक का साहित्यिक वजूद भी है, क्योंकि इसमें साहिर और अमृता की मूल नज्मों को भी पिरोया गया है। यह नाटक इन दोनों की प्रेम कहानी के विशेष किस्सों को बयां करता है और शेखर सुमन एवं दीप्ति नवल जैसे कलाकार दिल्ली की एक सर्द रात में दोनों के बीच के वार्तालाप को मंच पर सजीव करते हैं।
दिल्ली में यह नाटक हाल ही में पहली बार प्रदर्शित हुआ। नाटक के बारे में बात करते हुए शेखर ने कहा कि ‘एक मुलाकात’ की सबसे खास बात है कि इसमें दोनों शायरों के वास्तविकता को उनके किरदार को दर्शाते वक्त बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा, 'साहिर कोई इंसान नहीं बल्कि एक भावना हैं। जब आप किसी की नज्म या शेरो-शायरी से जुड़ते हैं तो आप उसे क्यों पसंद करते हैं? क्योंकि कहीं न कहीं कोई है जो आपके लिए कुछ कह रहा है, आप उसे अपने विचारों के तौर पर ही महसूस करते हैं।'
उन्होंंने कहा कि साहिर साहब का हर बात को लेकर एक अलहदा अंदाज था। वे बिल्कुल बेफिक्र इंसान थे। वे एक यायावर, एक प्रगतिशील, एक विद्रोही कवि थे। उनका बचपन, उनकी जिंदगी और उनकी प्रेम कहानियां सब कुछ बिलकुल अलग था। वे कभी भी किसी को भी अपनी रचनाओं में एक शब्द का भी बदलाव करने की अनुमति नहीं देते थे, यहां तक कि फिल्मों में भी। शेखर ने कहा कि उन्हें दुख है कि वे उनसे हकीकत में नहीं मिल पाए।
दीप्ति के लिए भी साहिर और अमृता के बीच का प्यार एक साधारण प्रेम कहानी से आगे जाकर एक 'वचनबद्धता' से बंधे व्यक्ति और एक 'भावपूर्ण' महिला के बीच प्यार की दास्तां है।
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