दो हफ्ते पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें अखिलेश यादव और मायावती ने फूलों के गुच्छों के पीछे से कहा कि जो बीत गया वो बीत गया और अब वे उस ऐतिहासिक गठबंधन के लिए वचनबद्ध हैं जिसका परिणाम राजनतिक रूप से फलदायी प्रदेश है. मायावती बातों को भूलकर माफ करने वालों में से नहीं हैं और उन्होंने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफतौर पर कहा कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 1995 में गेस्ट हाउस में जो किया था वो भारतीय राजनीति में नीचता की पराकाष्ठा थी.
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मायावती और अखिलेश यादव व उनके पिता मुलायम सिंह यादव के बीच का इतिहास काफी पेचीदा रहा है लेकिन उन बातों को कभी साझा नहीं किया गया. 2002 में मायावती दिल्ली जाने वाली फ्लाइट के बिजनेस क्लास में बैठी थीं. तभी 29 वर्षीय अखिलेश यादव की फ्लाइट में एंट्री हुई जिन्होंने बतौर सांसद अपना पहला चुनाव जीता ही था. उनके साथ पत्नी डिंपल यादव भी थीं. उन्होंने मुख्यमंत्री को नमस्ते किया. मायावती जिन्हें अकसर आलोचक घमंडी कहते हैं उन्होंने दोनों को नहीं पहचाना तो कोई जवाब भी नहीं दिया.
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18 सालों तक मायावती के सुरक्षा अधिकारी रहे पदम सिंह ने उसके बाद जो हुआ उसके बारे में बताया. "दिल्ली में उतरने के बाद बहन जी ने मुझसे उस नौजवान जोड़े के बारे में पूछा. मुझे 1995 का गेस्ट हाउस कांड याद था जब समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मायावती पर हमला कर दिया था, तो मैंने लापरवाही से कह दिया कि वे दोनों मुलायम सिंह जी के बेटे-बहू अखिलेश और डिंपल यादव हैं. वह गुस्सा हो गईं और मुझे डपटकर बोलीं, "तुमने मुझे क्यों नहीं बताया? तुम्हें मुझे चुपचाप से बता देना चाहिए था. उनके बेटे-बहू ने मुझे नमस्ते किया और मुझे भी सही से उनका अभिवादन करना चाहिए था. तुमने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया. वो लड़का मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा? उसकी पत्नी क्या सोच रही होगी? यह सही नहीं हुआ." फिर पदम सिंह का सामना दूसरे पक्ष से हुआ. "मायावती जी को छोड़ने के बाद जब मैं अपना सामान उठाने आया तो अखिलेश जी भी अपने सामान का इंतजार कर रहे थे. मैं उन्हें तब से जानता था जब मैं उनके पिताजी के साथ काम करता था. उन्होंने मुझसे कहा, "पदम सिंह जी अगर बहन जी और हम हाथ मिला लें तो हम मिलकर इस देश पर शासन कर सकते हैं. लेकिन विडम्बना यह है कि इतने ताकतवर होने के बावजूद हम दोनों सत्ता से बाहर हैं."
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एक साल बाद फिर पदम सिंह का सामना एक दूसरी फ्लाइट में कुछ ऐसी ही स्थिति से हुआ- मायावती को दिल्ली जाना था और इस बार उनके बॉडीगार्ड दहशत में थे क्योंकि उनके बगल वाली सीट सबसे बड़े प्रतिद्वंदी मुलायम सिंह यादव के लिए रिजर्व थी. पदम सिंह कहते हैं, "हमें दोनों में से किसी एक से सीट बदलने के लिए विनती करनी थी. मैंने समाजवादी पार्टी के एक नेता से बात कर उसे इस बात के लिए मना लिया कि नेताजी पहले प्लेन में बैठ जाएं. उसके बाद मैं बहन जी को उनकी सीट की ओर लेकर आया, जो कि गलियारे की ओर थी. आंखों के संपर्क से बचने के लिए नेताजी अखबार पढ़ते रहे. दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा तक नहीं. हम सब उन्हें ही देख रहे थे. जब प्लेन दिल्ली पहुंचा मुलायम सिंह जी और बहन जी दोनों खड़े हो गए और गलियारे पर एक-दूसरे के सामने आ गए. नेता जी ने झट से हाथ जोड़कर "नमस्ते बहन जी" कहा. मुझे उनका ये भाव बेहद पसंद आया. यही नहीं उन्होंने जोर देकर कहा, "बहन जी आप पहले उतरें." लेकिन मायावती ने कहा, "नहीं, नहीं! आपकी सीट हमसे आगे है तो पहले आप जाइए." पदम सिंह दावा करते हुए कहते हैं कि मुलायम सिंह ने बड़ा सम्मान दिखाते हुए कहा, "बहन जी, आप मेरी बहन हैं. आप पहले जाएंगी, आप मुझसे बड़ी हैं."
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मायावती को समझना आसान नहीं है और उनकी गिनती ऐसे नेताओं में होती है जिनके बारे में पूर्वानुमान लगाना बेहद मुश्किल है. पदम सिंह कहते हैं कि 2003 में बीजेपी ने जब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनके सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने उसे नकार दिया क्योंकि उन्हें बताया गया था कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से उन्हें केवल 20 ही मिलेंगी. उनके बॉडीगार्ड बताते हैं कि मायावती ने गुस्से से प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "क्या हम 20 सीटों से कंचे खेलेंगे?"
पदम सिंह 69 वर्ष के हैं और उन्होंने मायावती के साथ पांच साल पहले काम किया था. जब वह यूपी पुलिस के खुफिया विभाग में अधिकारी थे तब 3 जून 1995 को उन्हें मायावती का पर्सनल सेक्रेटरी (पीएसओ) नियुक्त किया गया था. तब तक वह मुलायम सिंह यादव समेत चार मुख्यमंत्रियों के साम काम कर चुके थे. पदम सिंह जाटव दलित हैं. यानी कि वे उसी जाति से हैं जिससे मायावती आती हैं. ये वही पदम सिंह हैं जो एक बार मायावती की सैंडल साफ करते हुए कैमरे में कैद हो गए थे. पदम सिंह उस घटना का बचाव करते हुए कहते हैं कि वे उस वक्त सिर्फ अपने बॉस को हेलीकॉप्टर में चढ़ते वक्त फिसलने और गिरने से बचाने की कोशिश कर रहे थे. वो कहते हैं, "बारिश की वजह से उनकी चप्पलों में कीचड़ लग गया था और हेलीकॉप्टर चढ़ते वक्त वह फिसल सकती थीं. वह मुझे ऐसा करने से रोक रही थीं क्योंकि वो जानती थीं कि मीडिया इस बात का मुद्दा बना देगा. लेकिन मैंने उनकी नहीं सुनी."
जब उनसे मायावती के साथ बिताए उनके कार्यकाल का सार पूछा गया तो उन्होंने उसे रोमांचक बताया क्योंकि वह "बहन जी द ग्रेट" थीं.
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