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This Article is From Jun 10, 2019

...जब भारतीय मिग और फ्रांसीसी राफेल विमानों ने कर्नाटक के एक छोटे द्वीप पर बरसा दिए बम

नौसैन्‍य अभ्‍यास 'वरुण' के तहत हिंद महासागर में भारतीय और फ्रांसिसी नौसेना की तरफ से सबसे अधिक युद्धपोतों, परमाणु और परंपरागत पनडुब्बियों, विध्‍वंसकों, फ्रिगेट और सपोर्ट शिप की तैनाती की गई है.

...जब भारतीय मिग और फ्रांसीसी राफेल विमानों ने कर्नाटक के एक छोटे द्वीप पर बरसा दिए बम
मिग -29K लड़ाकू विमानों के साथ भारतीय विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य इस अभियान में तैनात था.
नई दिल्ली:

9 मई को 16 लड़ाकू विमान, जिनमें भारतीय नौसेना के 8 मिग-29 और फ्रांस के 8 राफेल-एम विमान शामिल थे, कर्नाटक में अरब सागर के तट पर आपस में 'टकराए'.

दो समूहों में बंटे लड़ाकू विमानों, जिनमें प्रत्‍येक में 8 विमान थे, उन्‍हें अपनी भूमिका स्‍पष्‍ट रूप से पता थी. एक समूह, जिसे स्‍ट्राइक फोर्स का नाम दिया गया, उसे करवार के पास एक छोटे द्वीप को रॉकेटों, बमों और गोलियों से निशाना बनाने की कोशिश करनी थी तो दूसरे समूह यानी डिफेंसिव फोर्स जिसमें 8 मिग और राफेल शामिल थे, को बियॉन्‍ड विजुअल रेंज से स्‍ट्राइक फोर्स के हमले को रोकने की कोशिश करनी थी, इससे पहले कि वो अपने हथियार चला भी सकें.

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एक समूह का नियंत्रण एक एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट, E2-D, जिसने फ्रांस के परमाणु चालित विमानवाहक पोत चार्ल्‍स डे गॉल से उड़ान भरी थी, कर रहा था जबकि दूसरे समूह को भारतीय विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्‍य से उड़ान भरने वाला भारतीय नौसेना के कामोव Kamov Ka-31 हेलीकॉप्टर कर रहा था.

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दोनों ही विमानवाहक पोत डे-गॉल और विक्रमादित्‍य द्विपक्षीय नौसैन्‍य अभ्‍यास 'वरुण' का केंद्र रहे. इस नौसैन्‍य अभ्‍यास के तहत हिंद महासागर में भारतीय और फ्रांसिसी नौसेना की तरफ से सबसे अधिक युद्धपोतों, परमाणु और परंपरागत पनडुब्बियों, विध्‍वंसकों, फ्रिगेट और सपोर्ट शिप की जटिल तैनाती की गई है. कर्नाटक के तट के करीब हवाई युद्धाभ्‍यास से शुरू हुआ 'वरुण 2019' हॉर्न ऑफ अफ्रीका में, जहां फ्रांसीसी नौसेना का एक बेस है, वहां पनडुब्‍बी युद्धाभ्‍यास के साथ खत्‍म हुआ.

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एनडीटीवी से बात करने वाले वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों ने कहा कि हवाई युद्ध अभ्यास ने 'असाधारण प्रशिक्षण मूल्य' को जोड़ा, जिसमें करवार पर एक छोटे से द्वीप पर हमला किया गया. इस अभ्यास का समापन दोनों पक्षों के लड़ाकू विमानों द्वारा द्वीप के चट्टनी किनारे के साथ बने लक्ष्‍य पर हमला करने के साथ हुआ.

इस अभ्‍यास का उद्देश्‍य था सामान्य संचार प्रोटोकॉल विकसित करना ताकि किसी भी टकराव के वक्‍त फ्रांसीसी और भारतीय नौसैन्‍य लड़ाकू विमान साथ में काम कर सकें. हालांकि मूलभूत परिचालन में फर्क अभी भी कायम हैं. भारतीय मिग-29 के में लगा इलेक्‍ट्रॉनिक डाटा-लिंक फ्रांस के राफेल विमानों में लगे समान सिस्‍टम के अनुकूल नहीं था. जिसके चलते भारतीय और फ्रांसीसी विमानों के बीच पूरी बातचीत रेडियो के जरिए हुई. भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने NDTV को बताया कि दोनों पक्षों द्वारा 'गनरी एक्‍सरसाइज' बेहद सफल रही और दोनों ही पक्षों ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्‍य को निशाना बनाया.

नौसेना के अधिकारियों ने भारतीय नौसेना के मिग-29K और फ्रांसीसी राफेल विमानों के बीच हवाई भिड़ंत का विवरण साझा नहीं किया. ये सभी अभ्‍यास 60 से 80 किलोमीटर के बियॉन्‍ड विजुअल रेंज पर किए गए जिसमें भारतीय नौसेना ने बताया कि वो कहीं उन्‍नत राफेल लड़ाकू विमानों का पता लगाने और उनसे लोहा लेने में कामयाब रहे, हालांकि इन अभ्‍यासों के स्‍कोरलाइन इस संवाददाता से सझा नहीं किए गए. हालांकि नौसेना के सूत्रों ने NDTV से हमेशा कहा है कि किसी भी अभ्‍यास में दोनों नौसेनाओं का सीधा सामना नहीं हुआ और दोनों पक्षों ने अधिकतम आपसी सामंजस्‍य के लिए संयुक्‍त बलों को तैनात करने का निर्णय लिया.

भारतीय वायुसेना को 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से कुछ इसी वर्ष सितंबर में मिल जाएंगे. उससे पहले, भारतीय वायुसेना अपने सुखोई-30 लड़ाकू विमानों को हवा में ईंधन भरने वाले विमानों के साथ जुलाई की शुरुआत में दोनों देशों के बीच होने वाले 'गरुड़' वायुसेना अभ्‍यास के लिए फ्रांस भेजेगी. ये विमान फ्रांसीसी वायुसेना के राफेल विमानों के साथ भी उड़ेंगे और उनके खिलाफ भी जिससे भारतीय वायुसेना को इस उन्‍नत विमान को और बेहतर तीरके  से जानने का मौका मिलेगा जिससे वो जल्‍द ही शामिल करने की प्रक्रिया में है.

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