Kumaraswamy and Siddaramaiah Prosecution : कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत दुविधा में लगते हैं. उनके।पास दो अर्जी विचाराधीन हैं. पहली मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की और दूसरी मौजूदा केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी की. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत आरटीआई एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम ने मांगी हैं यानी ये एक "प्राइवेट कंप्लेन" है. अवेंदनकर्ता टीजे अब्राहम ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी है, क्योंकि मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की इजाजत जरूरी है.
कुमारस्वामी पर क्या है मामला?
वहीं केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत कर्नाटक की लोकायुक्त पुलिस की तरफ से मांगी गई है. हालांकि, कुमारस्वामी के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत पिछले साल 21 नवंबर को लोकायुक्त पुलिस ने मांगा था. तब से मामला राज्यपाल थावरचंद गहलोत के पास विचाराधीन है. मामला 2005-06 का है. तब कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. अवैध खनन को लेकर उनके खिलाफ मामला लोकायुक्त पुलिस में दर्ज हुआ तो लोकायुक्त ने विशेष जॉच दल गठित किया, जिसने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी. तकरीबन 11 महीने से यह राज्यपाल थावरचंद गहलोत के पास विचाराधीन है.
क्या है मुश्किल?
यानी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ जहां मुकदमा चलाने की इजाजत एक "निजी शिकायत " यानी प्राइवेट कंप्लेन की कैटेगरी में आती है, वहीं केन्द्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ मुकदमा चलाने के इजाजत पुलिस ने मांगी है और वो भी लोकायुक्त पुलिस ने. ऐसे में राज्यपाल कानूनी सलाह ले रहे हैं. शायद इसीलिए दिल्ली से वापस बेंगलुरु लौटने पर राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने टीजे अब्राहम से दुबारा मुलाकात की, जिसने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी है. टीजे अब्राहम की शिकायत पर राज्यपाल ने कारण बताओ नोटिस जारी कर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पूछा कि वो बताएं कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत क्यों राज्यपाल ना दें. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मंत्रिपरिषद ने राजपाल थावरचंद गहलोत को बैठक के बाद सलाह दी कि टीजे अब्राहम की अर्जी वो खारिज करें और Show Cause Notice वापस लें. राजपाल थावरचंद गहलोत ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.
राजनीति चरम पर
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का कहना है कि MUDA ने 14 प्लॉट्स महंगे इलाके में उनकी पत्नी को दिए हैं. प्लॉट्स देने का फैसला बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने लिया. ऐसे में दोष किस आधार पर उनपर मढ़ा जा रहा है. मामले की जांच के लिए सिद्धरमैया ने न्यायिक आयोग जस्टिस पी एन देसाई की अध्यक्षता में बनाया है. मुख्यमंत्री के इस्तीफे और मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए बीजेपी जेडीएस ने मैसूर चलो यात्रा बेंगलुरु से शुरू की है, जो शनिवार को मैसूर में खत्म होगी. वहीं इस यात्रा के खिलाफ कांग्रेस का जन आंदोलन शुक्रवार को मैसूर में खत्म हुआ.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं