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This Article is From Jan 22, 2025

न वायरल, न कैंसर न कोई इंफेक्शन, 17 लोगों की मौत की क्या है सच्चाई?

बीमारी की बात करें तो बीमारी का पता सबसे पहले 7 दिसंबर को सामने आया था. फिर 15 जनवरी को जम्मू-कश्मीर की स्वास्थ्य मंत्री सकीना मसूद इट्टू ने साफ किया है कि इन 13 लोगों की मौत किसी रहस्यमय बीमारी या वायरस से नहीं हुई है. 

न वायरल, न कैंसर न कोई इंफेक्शन, 17 लोगों की मौत की क्या है सच्चाई?
नई दिल्ली:

जम्मू....जहां की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है...लेकिन इसी जम्मू से जो खबर निकलकर सामने आ रही है वो डराने वाली है. मामला कुछ ऐसा है कि जम्मू के राजौरी जिले में एक रहस्यमय बीमारी का पता चला है. बीमारी से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें ज्यादातर बच्चे शामिल हैं...लेकिन ये बीमारी कौन सी है..किसी को नहीं पता. जिन लोगों की मौत हुई है उनमें लगभग सबमें लक्षण समान थे. सिर्फ मतली, दर्द, बुखार, बेहोशी आदि की शिकायतें आई हैं. बीमारी से प्रभावित सभी लोग जिले के ‘बडाल' गांव से हैं. हालात को देखते हुए सरकार ने पूरे गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है..धारा 167 लागू कर दी गई है..लोगों के सामूहिक मिलन और कार्यक्रम पर रोक लगा दी है. 

बीमारी की बात करें तो बीमारी का पता सबसे पहले 7 दिसंबर को सामने आया था. फिर 15 जनवरी को जम्मू-कश्मीर की स्वास्थ्य मंत्री सकीना मसूद इट्टू ने साफ किया है कि इन 13 लोगों की मौत किसी रहस्यमय बीमारी या वायरस से नहीं हुई है. 

बीमारी को लेकर कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स ने न्यूरोटॉक्सिन का मुद्दा उठाया है. अब सवाल ये कि न्यूरोटॉक्सिन क्या होता है - न्यूरोटॉक्सिन एक ऐसा केमिकल है जो शरीर के नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं. ये ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और पेरिफेरल नर्वस सिस्टम को डैमेज करता है. यह टॉक्सिन मुख्य रूप से न्यूरॉन को टारगेट करता है जिससे दिमाग का अधिकांश हिस्सा खराब हो जाता है. कुछ जहरीले जानवर, जैसे सांप, कुछ प्रकार की मच्छर, और आरी वाली मछलियों में कुदरती रूप से ये टॉक्सिन पाए जाते हैं. दिमाग में अगर ये टॉक्सिन घुस जाए इससे दौरा पड़ सकता है, लकवा मार सकता है या हार्ट फेल भी हो सकता है. 

अब मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने जांच के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल टीम बनाई है, इसके साथ ही टीम को गृह मंत्रालय ही लीड कर रहा है. टीम में स्वास्थ्य, कृषि, रसायन और जल संसाधन मंत्रालय के एक्सपर्ट्स शामिल हैं. बीमारी का पता लगाने के लिए कई टेस्ट भी किए जा रहे हैं. जो सैंपल लिए गए हैं उसे नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे, और अन्य कई लेबोरेटरी में भी टेस्ट किए गए हैं. टेस्ट रिजल्ट में अब तक यह साबित हुआ है कि इस बीमारी की वजह न तो वायरस है और न ही बैक्टीरिया.

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