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मलमास में 4 करोड़ हिंदू देवी-देवता यहीं रहते हैं... नीतीश ने मोदी को बताया राजगीर का 'राज़'

नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री ने राजगीर में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल ‘‘नालंदा महाविहार’’ का दौरा किया.

मलमास में 4 करोड़ हिंदू देवी-देवता यहीं रहते हैं... नीतीश ने मोदी को बताया राजगीर का 'राज़'
नया कैंपस विश्व धरोहर स्थल प्राचीन ‘‘नालंदा महाविहार’’ स्थल के करीब है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया. विश्वविद्यालय का नया कैंपस विश्व धरोहर स्थल प्राचीन ‘‘नालंदा महाविहार'' स्थल के करीब है. इस मौके पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद रहे. नए कैंपस के उद्घाटन पर उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि ये बड़ी खुशी की बात है और आपको भी बहुत अच्छा लगेगा की आप आ गए हैं. ये सबसे पौराणिक जगह है. दुनिया की सबसे पहली जगह है राजगीर और यही पर सब कुछ होता था. राजगीर मगध साम्राज्य की पहली राजधानी थी. पहले इसे राजगृह के नाम से जाना जाता था. अब हम राजगीर कहते हैं.

नीतीश ने पीएम मोदी को राजगीर के बारे में क्या बताया

नीतीश कुमार ने कहा कि फिर राजधानी को ये जो पटना है पाटलिपुत्र, इसे वहीं पर शिफ्ट कर दिया गया था और राजगीर 5 प्रमुख धर्मों का संगम स्थल भी है. बौद्ध धर्म के भगवान बुद्ध वेणुपन में रहा करते थे और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश किया करते थे. जैन धर्म के भगवान महावीर का भी सीधा सम्बन्ध हैं और यहां पर कई जैन मंदिर स्थित थे. इसके बाद सिख धर्म के गुरु नानक देव जी यहां आये थे और यहां शीतल कुंड गुरुद्वारा बनाया गया. मुस्लिम धर्मगुरु को राजगीर में ही ज्ञान प्राप्त हुआ फिर चले गए. हिंदू धर्म के मलमास मेला का आयोजन हर तीसरे वर्ष किया जाता है. लोग मानते हैं कि मलमास के दौरान 33 करोड़ हिंदू देवी देवता सब यहीं रहते हैं, ये ही मान्यता है.

नीतीश ने कहा कि इस जगह से भगवान महावीर का भी सीधा सम्बन्ध हैं और यहां पर कई जैन मंदिर स्थित थे. इसके बाद सिख धर्म के गुरु नानक देव जी यहां आये और यहां शीतल कुंड गुरुद्वारा बनाया गया. मुस्लिम धर्मगुरु को राजगीर में ही ज्ञान प्राप्त हुआ.

पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय को बताया भारत का गौरव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि आग की लपटों में पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन ज्ञान को नहीं मिटा सकते. पीएम मोदी ने कहा कि यह नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा. नालंदा बताएगा जो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित कर बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है, इसमें विश्व और एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है. पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की भागीदारी में भारत के मित्र देशों का अभिनंदन किया.

पीएम मोदी ने कहा, "नालंदा केवल एक नाम नहीं है. नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है. नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है. नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं." उन्होंने आशा जताई कि नालंदा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए आने वाले दिन महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि आप अपने ज्ञान को समाज को एक सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयोग करिए. अपने ज्ञान से बेहतर भविष्य का निर्माण कीजिए. नालंदा का गौरव भारत का गौरव है. आपके ज्ञान से पूरी मानवता को नई दिशा मिलेगी.

5वीं शताब्दी में हुई थी नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना

नालंदा की स्थापना 5वीं शताब्दी में हुई थी जिसने दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित किया. विशेषज्ञों के अनुसार 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए जाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा. नए विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान पर काम करना शुरू किया. विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ. इस विश्वविद्यालय में भारत के अलावा 17 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई, दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमा, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, वियतनाम और थाईलैंड की भागीदारी है. इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं.

(भाषा और आईएएनएस इनपुट्स के साथ)

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