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This Article is From Dec 10, 2014

एनडीटीवी एक्सक्लूसिव : रोक के बावजूद लगातार चल रही हैं उबर की टैक्सियां

नई दिल्ली:

दिल्ली में हुई रेप की घटना ने टैक्सियों में सुरक्षा के मुद्दे को उठाया है। इस घटना में उबर की टैक्सी का इस्तेमाल हुआ और कंपनी के रवैये को देखते हुए दावा किया गया कि उबर की सर्विस बैन कर दी गई है, कम से कम दिल्ली-एनसीआर के बारे में तो यही कहा गया। अचानक हरकत में आए ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने लिस्ट जारी कर साफ कर दिया कि सिर्फ छह कंपनियों की टैक्सियों को दिल्ली की सड़कों पर चलने की इजाज़त है।

सो, 9 दिसंबर की रात लगभग नौ-सवा नौ बजे इस दावे की सच्चाई जानने निकले हमारे संवाददाता अदिति राजपूत और मिहिर गौतम... सबसे पहले तो यह बताएं कि बाकी कंपनियों से अलग उबर की टैक्सियों पर ऐसा कुछ नहीं होता, जिससे आप पहचान पाएं कि वह उबर की टैक्सी है। दूसरी कंपनियों की टैक्सी की तरह कंपनी का नाम नहीं लिखा होता है।

जब हमने पहली बुकिंग करनी चाही, तो ड्राइवर ने कहा, दो दिन तक चलाने के लिए मना किया गया है, इसलिए मैं नहीं आऊंगा। हमें लगा, बैन के दावे सच्चे हैं, लेकिन दूसरी ही कोशिश में सरकारी दावों की हवा निकल गई। ड्राइवर 15 मिनट ही दूर था, फोन पर तसल्ली दे दी कि वह जल्द ही पहुंच रहा है। हम ऑफिस के बाहर खड़े इंतज़ार कर रहे थे, और लो, गाड़ी वक्त से पहले ही आ गई।

ड्राइवर से हमने पूछा, हम शूट करना चाहते हैं, कोई परेशानी तो नहीं। उसके 'नहीं' कहने के बाद हम टैक्सी में बैठकर लाजपत नगर की तरफ निकल पड़े। पूरे रास्ते ड्राइवर से बात होती रही। उसके मुताबिक, इस ख़बर के बाद उसने कंपनी को फोन किया था, तो कंपनी ने कहा कि चलाना चाहते हो तो चलाओ, नहीं चलाना चाहते तो न चलाओ... हालांकि कोई परेशानी नहीं है...

ड्राइवर की मानें तो कंपनी ने उसे कभी नहीं बताया कि उबर पर दिल्ली में रोक लगी हुई है। ड्राइवर के मुताबिक, नौकरी ज्वॉयन करते वक्त कोई कैरेक्टर सर्टिफिकेट भी नहीं मांगा गया था, लेकिन हां, उसने ड्राइविंग लाइसेंस ज़रूर दिया था। यह पूछने पर कि क्या कभी कंपनी (उबर) के ऑफिस जाते हैं, उसका कहना था, कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी, न उन्होंने कभी बुलाया।

वैसे, जिस गाड़ी में हम घूम रहे थे, उसमें जीपीएस नहीं लगा था, लेकिन उबर कंपनी का फोन था। फोन पर वह लोकेशन भी आ रहा था, जहां हम जा रहे थे, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर फोन बंद हो जाए तो... इस सवाल का जवाब ड्राइवर के पास भी नहीं था...

सारी बातें एक तरफ, अब जो सबसे बड़ा सवाल सामने है, वह यह है कि जिस कंपनी की सर्विस बंद होने का दावा न सिर्फ सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं, बल्कि दिल्ली पुलिस ने भी किया, उस कंपनी का मोबाइल ऐप लगातार बुकिंग ले रहा है, टैक्सी सर्विस लगातार चल रही है, और लोगों को बिल भी भेजे जा रहे हैं... तो फिर यह कैसी रोक है... इसे तो दिखावे के लिए लगाई गई रोक भी नहीं कह सकते...

सरकार को यह समझना होगा कि अगर वह वाकई गंभीर है तो नियम कड़े करे... जो कंपनियां नियम नहीं मानतीं, उन्हें बाहर कर दे, चाहे वे मल्टीनेशनल हों या हिन्दुस्तानी...

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