अप्रैल, 2012 में किया गया 'अग्नि-5' का पहला परीक्षण
नई दिल्ली:
यदि मौसम ने साथ दिया तो इस सप्ताहांत भारत अपनी नए बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र (मिसाइल) 'अग्नि-5' का परीक्षण करने जा रहा है। इस मिसाइल का सबसे खास पहलू यह है कि यह परमाणु हथियार लेकर न सिर्फ शंघाई और बीजिंग तक पहुंच सकती है, बल्कि चीन में सबसे उत्तरी कोने पर बसा हैबिन सिटी तक इसके लपेटे में आ सकेंगे।
चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने में सक्षम क्षेत्रीय ताकत के रूप में भारत के उभरने की दिशा में 'अग्नि-5' के इस परीक्षण को महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 'अग्नि-5' त्रि-स्तरीय (three-stage) मिसाइल है, जिसे डेढ़ टन वजन का हथियार 5,000 किलोमीटर (अथवा 3,100 मील) की दूरी तक ले जाने के लिए बनाया गया है। बताया गया है कि संभवतः इसका परीक्षण रविवार को ओडिशा के तट पर व्हीलर आईलैंड से किया जाएगा। यह दो साल की अवधि में किया गया 'अग्नि-5' का दूसरा परीक्षण होगा।
इस परीक्षण के साथ 'अग्नि-5' भारत के पास मौजूद सभी मिसाइलों में सबसे अधिक दूरी तय करने में सक्षम मिसाइल बन जाएगी। मौजूदा समय में सबसे अधिक दूरी तय करने में सक्षण भारतीय मिसाइल 'अग्नि-3' है, जो 3,500 किलोमीटर (अथवा 2,100 मील) दूर मार कर सकती है। 'अग्नि-5' की लम्बाई 17 मीटर होगी, और इसका वजन लगभग 50 टन है।
'अग्नि-5' का पहला परीक्षण अप्रैल, 2012 में किया गया था, और उसमें मिसाइल के गाइडेंस सिस्टम, जो मिसाइल की कार्यक्षमता को मापने में बेहद महत्वपूर्ण होता है, ने बिल्कुल दुरुस्त काम किया था।
'अग्नि-5' का विकास वर्ष 1983 में शुरू हुआ था। सूत्रों का कहना है कि 'अग्नि-5' को वर्ष 2017 में भारतीय सेना में शामिल कर इसकी तैनाती की जा सकती है, परन्तु उसके लिए उससे पहले कुछ और परीक्षण करने होंगे। 'अग्नि-5' की बदौलत भारत को रणनीतिक बॉम्बर विमानों और पनडुब्बियों से परमाणु हथियार दागने की क्षमता तो हासिल होगी ही, इससे भारत खुद पर परमाणु हमला हो जाने के बावजूद पलटवार करने में भी सक्षम हो जाएगा।
एसयू-30 एमकेआई और फ्रांस-निर्मित मिराज 2000 लड़ाकू विमान हवा से परमाणु हथियार दागने की क्षमता रखते हैं। इनके अलावा स्वदेशी परमाणु-चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत पर भी समुद्र के भीतर परीक्षण जारी हैं, और उसे वर्ष 2016-17 तक भारतीय नौसेना में शामिल कर लिए जाने की उम्मीद है।
वैसे, भारत इससे पहले ही समुद्र के नीचे से परमाणु हथियार दागने की क्षमता सिद्ध कर चुका है। पनडुब्बियों से दागी जा सकने वाली के-15 परमाणु मिसाइलों के पिछले कुछ वर्षों में एक दर्जन से भी ज़्यादा सफल परीक्षण किए जा चुके हैं।
चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने में सक्षम क्षेत्रीय ताकत के रूप में भारत के उभरने की दिशा में 'अग्नि-5' के इस परीक्षण को महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 'अग्नि-5' त्रि-स्तरीय (three-stage) मिसाइल है, जिसे डेढ़ टन वजन का हथियार 5,000 किलोमीटर (अथवा 3,100 मील) की दूरी तक ले जाने के लिए बनाया गया है। बताया गया है कि संभवतः इसका परीक्षण रविवार को ओडिशा के तट पर व्हीलर आईलैंड से किया जाएगा। यह दो साल की अवधि में किया गया 'अग्नि-5' का दूसरा परीक्षण होगा।
इस परीक्षण के साथ 'अग्नि-5' भारत के पास मौजूद सभी मिसाइलों में सबसे अधिक दूरी तय करने में सक्षम मिसाइल बन जाएगी। मौजूदा समय में सबसे अधिक दूरी तय करने में सक्षण भारतीय मिसाइल 'अग्नि-3' है, जो 3,500 किलोमीटर (अथवा 2,100 मील) दूर मार कर सकती है। 'अग्नि-5' की लम्बाई 17 मीटर होगी, और इसका वजन लगभग 50 टन है।
'अग्नि-5' का पहला परीक्षण अप्रैल, 2012 में किया गया था, और उसमें मिसाइल के गाइडेंस सिस्टम, जो मिसाइल की कार्यक्षमता को मापने में बेहद महत्वपूर्ण होता है, ने बिल्कुल दुरुस्त काम किया था।
'अग्नि-5' का विकास वर्ष 1983 में शुरू हुआ था। सूत्रों का कहना है कि 'अग्नि-5' को वर्ष 2017 में भारतीय सेना में शामिल कर इसकी तैनाती की जा सकती है, परन्तु उसके लिए उससे पहले कुछ और परीक्षण करने होंगे। 'अग्नि-5' की बदौलत भारत को रणनीतिक बॉम्बर विमानों और पनडुब्बियों से परमाणु हथियार दागने की क्षमता तो हासिल होगी ही, इससे भारत खुद पर परमाणु हमला हो जाने के बावजूद पलटवार करने में भी सक्षम हो जाएगा।
एसयू-30 एमकेआई और फ्रांस-निर्मित मिराज 2000 लड़ाकू विमान हवा से परमाणु हथियार दागने की क्षमता रखते हैं। इनके अलावा स्वदेशी परमाणु-चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत पर भी समुद्र के भीतर परीक्षण जारी हैं, और उसे वर्ष 2016-17 तक भारतीय नौसेना में शामिल कर लिए जाने की उम्मीद है।
वैसे, भारत इससे पहले ही समुद्र के नीचे से परमाणु हथियार दागने की क्षमता सिद्ध कर चुका है। पनडुब्बियों से दागी जा सकने वाली के-15 परमाणु मिसाइलों के पिछले कुछ वर्षों में एक दर्जन से भी ज़्यादा सफल परीक्षण किए जा चुके हैं।
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